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भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान

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  12-Mar-2024 | अजय प्रताप तिवारी



भारत प्राचीन काल से आर्थिक रूप से समृद्ध रहा है। यहाँ की आर्थिक संरचना का आधार कृषि रहा है। भारत में प्राचीनकाल से कृषि की परम्परा रही है। सिन्धु घाटी सभ्यता से मिले कृषि के साक्ष्य यह दर्शाते हैं की मानव सभ्यताओं का विस्तार और कृषि का विकास एक साथ हुआ है। किसी भी राष्ट्र की अर्थव्यवस्था के प्राथमिक स्रोत कृषि होते हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्त्वपूर्ण योगदान है। यहाँ की लगभग 60 फीसदी जनसंख्या कृषि से जुड़ी हुई है, कृषि रोजगार का सबसे बड़ा क्षेत्र है। इसलिए कृषि को अर्थव्यवस्था का रीढ़ कहा जाता है। विश्व में कुल क्षेत्रफल के 11फीसदी भू-भाग पर कृषि कार्य होता है। भारत में कुल भू-भाग के 51फीसदी क्षेत्रफल पर कृषि कार्य किया जाता है। भारतीय कृषि से उत्पादित खाद्यान्‍न से विश्व की कुल जनसंख्या का 17 फीसदी लोगों का भरण पोषण होता है। कृषि के विकास से पोषण में सुधार, वैश्विक भूख सूचकांक में सुधार, आय में इजाफा और रोजगार में वृद्धि होती है। शायद यही कारण है कि कृषि को आर्थिक और सामाजिक विकास की प्रधान कुंजी कहते हैं। आज कृषि शब्द का अर्थ बड़े व्यापक पैमाने पर प्रयोग किया जाता है। कृषि के अन्तर्गत मछली, दुग्ध उत्पादन, वन, बागवानी, पशुपालन सम्मिलित किया गया है। देश की कुल कार्यरत श्रमशक्ति का 50 प्रतिशत श्रमशक्ति कृषि क्षेत्र में लगी है। कच्चे माल आधारित बड़े उद्योगों का आधार कृषि है। पूरे विश्व में जुट उद्योग, वस्त्र उद्योग, खाद्य तेल उद्योग, चमड़ा उद्योग, चीनी और तम्बाकू उद्योग का आधार कृषि उत्पादों पर निर्भर करता है। भारत में कृषि उत्पादों पर निर्भर उद्योगों में कुल आय में लगभग 35 फीसदी है। कृषि आधारित उत्पादों के निर्यात से देश में आर्थिक वृद्धि तथा विदेशी मुद्रा अर्जित करने में सहायक हैं। कृषि क्षेत्र का सकल घरेलू उत्पाद में बात किया जाए तो कृषि का राष्ट्रीय आय में महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। 1950 के दशक में सकल घरेलू उत्पाद में कृषि की भागीदारी लगभग 53 फीसदी थी। अर्थव्यवस्था में विकास की गति जैसे-जैसे तेज होती गई, सकल घरेलू उत्पाद में कृषि की भागीदारी घटती गए, 1995 में सकल घरेलू उत्पाद में कृषि की हिस्सेदारी 25 प्रतिशत थी। वर्ष 2011-2012में कृषि का सकल घरेलू उत्पाद मेंन13.3 प्रतिशत भागीदारी रहा है। वर्तमान समय में कृषि की लगभग 14 प्रतिशत की भागीदारी है। अर्थव्यवस्था के द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्र के विकास के कारण अर्थव्यवस्था में कृषि की भागीदारी घटने लगती है। जब कोई राष्ट्र विकासशील से विकसित राष्ट्र की ओर अग्रसर होता है तो अर्थव्यवस्था की निर्भरता द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रों पर होती है। यदि विकसित देशों के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि की भागीदारी देखें तो इंग्लैण्ड और अमेरिका में दो प्रतिशत है, फ्रांस में 7 और आस्ट्रेलिया का 6 प्रतिशत है। भारत के कुल निर्यात में कृषि की हिस्सेदारी 10 फीसदी है। अर्थव्यवस्था में कृषि के महत्त्व को समझते हुए पं. जवाहर लाल नेहरू ने कहा था कि – कृषि को सर्वाधिक प्राथमिकता देने की आवश्यकता है क्योंकि यदि कृषि असफल रहती है तो सरकार और राष्ट्र दोनों असफल रहते हैं। देश की लगभग 140 करोड़ जनसंख्या की खाद्य सुरक्षा कृषि पर निर्भर है। भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्त्व विभिन्न क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण है।रे ल और ट्रांसपोर्ट के पूंजी निर्माण में कृषि की भूमिका सराहनीय है। रेलवे माल ढुलाई से सबसे ज्यादा धन अर्जित करता है जिसमे अधिकांश कृषि से जुड़े माल होते हैं। कड़पा उद्योग, जुट, चीनी, चमड़ा उद्योग और तम्बाकू जैसे उद्योगों का आधार कृषि है। बिना कृषि के ऐसे उद्योग संभव नहीं है। भारत के विदेशी व्यापार में चाय, तम्‍बाकू, मसाला आदि का महत्त्वपूर्ण योगदान है। कृषि क्षेत्र के उत्पादों के निर्यात से विदेशी विनिमय प्राप्त होता है। विदेशी मुद्रा के भंडार में कृषि का अहम भूमिका है। देश में आयातित वस्तुओं में हुई घाटे की भरपाई करने में कृषि उत्पाद सहायक सिद्ध होते हैं। अर्थव्यवस्था में कृषि के महत्त्व को संदर्भित करते हुए प्रो. रोस्टोव कहते हैं कि – कृषि औद्योगिक विकास की आधारशिला है, और कृषि उत्पादन औद्योगीकरण के लिए मूलभूत कार्यशील पूँजी है। आज ज्ञान आधारित आर्थिक विकास से अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है किन्तु कृषि का अर्थव्यवस्था में भूमिका कम नहीं है इसीलिए कृषि को अर्थव्यवस्था का मेरुदंड कहा जाता है। अर्थव्यवस्था में आर्थिक संपन्नता के लिए रोजगार महत्त्वपूर्ण पहलू होता है। रोजगार की दृष्टिकोण से कृषि सबसे बड़ा क्षेत्र है। भारत के कुल श्रमशक्ति का लगभग 44 फीसदी भागीदारी कृषि क्षेत्र का है। वर्तमान में सरकारी क्षेत्र में कृषि का 33 प्रतिशत हिस्सेदारी है, 44 प्रतिशत निजी क्षेत्र, वित्तीय क्षेत्र में 10 प्रतिशत और अनुसंधान कार्यों में 4 प्रतिशत लोग कार्यरत हैं। भारत की अधिकांश जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है। 70 फीसदी ग्रामीण परिवारों की निर्भरता कृषि पर टिकी हुई है। देश के लगभग 58 प्रतिशत जनसंख्या को रोजगार मुहैया कराता है। कृषि क्षेत्र में हुए शोध नवाचार और तकनीकी उन्नति से रोजगार की संरचना में काफी बदलवा आया है। आने वाले कुछ वर्षों में विभिन्न प्रकार के नवीन रोजगार का सृजन कृषि क्षेत्र में होगा। सरकारी क्षेत्र में रोजगार के साथ-साथ निजी क्षेत्र में अवसरों का काफी विस्तार हुआ है। औद्योगिक विकास में कृषि का अहम भूमिका है। किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में औद्योगिक क्षेत्र का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है क्योंकि औद्योगिक विकास से सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि होती है।औद्योगिक क्षेत्र का विकास कृषि के बिना संभव नहीं है।भारत में कई ऐसे उद्योग हैं जिनके के लिए कच्चा माल कृषि से प्राप्त होता है। भारत सहित पूरे विश्व में सूती वस्त्र, चीनी, वनस्पति तथा बागान उद्योग, जूट उद्योग की निर्भरता कृषि पर होती है। यदि कृषि के विकास में कमी आती है तो इसका सीधा प्रभाव विभिन्न उद्योगों पर पड़ता है। भारत इस दशक के अन्त तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगी। लेकिन देश की अधिकांश जनसंख्या कृषि पर निर्भर है, इस लिहाज से भारतीय कृषि और कृषि आधारित उद्योगों का विकास महत्त्वपूर्ण है। कच्चे माल आधारित उद्योगों की प्रेरक शक्ति कृषि होते हैं। भारतीय कृषि देश का प्रमुख व्यवसाय, लोगों के जीविकोपार्जन का मुख्य साधन है। इसलिए कृषि को राष्ट्र का प्राण कहा गया है। कृषि खाद्य संकट के निवारण मुख्य भूमिका है। दुनिया का कोई भी राष्ट्र यदि खाद्य संकट से ग्रस्त है तो उस राष्ट्र की आर्थिक विकास रुक जाती है। अर्थव्यवस्था के लिए खाद्य संकट बहुत घातक सिद्ध होता है। भारतीय कृषि का सकल घरेलू उत्पाद में भागीदारी भले ही कम हो लेकिन देश में खाद्य भंडारण सबसे अधिक है।खाद्य उत्पादन और खाद्य सुरक्षा का मुख्य अस्त्र कृषि है। यदि कोई राष्ट्र खाद्य संकट से जूझ रहा तो वह अपने अर्थव्यवस्था का अधिकांश आय खाद्य आयत में लगा देगा, जिस कारण अन्य क्षेत्र प्रभावित होंगे। कृषि के विकास से आर्थिक विकास, वैश्विक सूचकांक में सुधार, गरीबी घटेगी, राष्ट्र समृद्ध होगा और खुशहाली बढ़ेगी। अर्थव्यवस्था में कृषि की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। भले ही आज अर्थव्यवस्था में कृषि की हिस्सेदारी घट रही हो लेकिन अधिकांश औद्योगिक क्षेत्र आज भी कृषि पर निर्भर है। कृषि औद्योगिक और व्यापारिक दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण है। कृषि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयात निर्यात, औद्योगिक और व्यापार में सहयोग करते हैं। अर्थव्यवस्था में कृषि की भागीदारी भले ही आज पहले की अपेक्षा घट रही है, लेकिन आज भी रोजगार की दृष्टिकोण से सबसे बड़ा क्षेत्र है। कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए सरकार कृषि में निवेश, अनुसंधान ,नवीनतम टेक्नोलॉजी को बढ़ावा दे रही है। ज्ञान आधारित कृषि को बढ़ावा देने हेतु डिजिटल, नवीन कौशल और विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। आज भले सकल घरेलू उत्पाद में द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रों की भागीदारी अधिक है लेकिन अर्थव्यवस्था का आधार आज भी कृषि है और आगे भी रहेगा।



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