शून्य मामला: भारत की पोलियो उन्मूलन महागाथा
विविध
21-Nov-2024
चर्चा में क्यों?
वर्ष 2014 में भारत को पोलियो मुक्त दर्जा मिलना वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य में सबसे महत्त्वपूर्ण सफलताओं में से एक है। पोलियो का उन्मूलन कोई एक घटना नहीं थी, बल्कि दशकों के समर्पित प्रयासों का परिणाम था, जिसकी शुरुआत वैश्विक पोलियो उन्मूलन पहल (GPEI) में भारत की भागीदारी से हुई और सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (UIP) के तहत प्रबल राष्ट्रीय टीकाकरण प्रयासों द्वारा इसे आगे बढ़ाया गया ।
पोलियोमाइलाइटिस (पोलियो):
- यह एक अत्यधिक संक्रामक वायरल रोग है जो मुख्यतः 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों को प्रभावित करता है।
- मल-मौखिक मार्ग से या कम सामान्यतः दूषित जल/भोजन के माध्यम से फैलता है।
- भारत में पोलियो मुक्त स्थिति बनाए रखने के लिये निवारक उपाय
- वार्षिक पोलियो अभियान: वार्षिक पोलियो अभियान: राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस (NID) और उप-राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस (SNID) हर वर्ष आयोजित किये जाते हैं, ताकि प्रतिरक्षा स्तर को बनाए रखा जा सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी बच्चा टीकाकरण से वंचित न रहे।
- निरक्षण और सीमा टीकाकरण: अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर टीकाकरण से पोलियो प्रभावित क्षेत्रों से पुनः पोलियो के आयात के जोखिम को निम्न करने में सहायता मिलती है।
- निष्क्रिय पोलियो वैक्सीन (IPV): वर्ष 2015 में प्रस्तुत, यह वैक्सीन पोलियो, विशेषकर टाइप 2 पोलियोवायरस के विरुद्ध अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करती है।
- मिशन इंद्रधनुष: वर्ष 2014 में शुरू किया गया, इसका उद्देश्य टीकाकरण कवरेज को 90% तक बढ़ाना है। कम टीकाकरण दर वाले दुर्गम क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम:
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