ज़ेड-मोड़ सुरंग

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी


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 13-Jan-2025

चर्चा में क्यों?  

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गंदेरबल ज़िले में ज़ेड-मोड़ सुरंग का उद्घाटन करने के लिये जम्मू-कश्मीर का दौरा करने वाले हैं। इस बुनियादी ढाँचा परियोजना से कश्मीर और लद्दाख के बीच सड़क संपर्क बढ़ने की संभावना है, जिससे पर्यटन और भारतीय सेना दोनों को लाभ होगा।  

ज़ेड-मोड़ सुरंग: मुख्य तथ्य  

  • स्थान: जम्मू और कश्मीर के गंदेरबल ज़िले में 6.4 किमी लंबी सुरंग, जो श्रीनगर-लेह राजमार्ग के साथ सोनमर्ग को सभी मौसम में संपर्क प्रदान करती है।  
  • उद्देश्य: प्रमुख पर्यटन स्थल सोनमर्ग तक वर्ष भर पहुँच सुनिश्चित करना तथा लद्दाख से संपर्क में सुधार करना।  
  • निर्माण  
    • इसकी योजना सर्वप्रथम सीमा सड़क संगठन (BRO) द्वारा 2012 में बनाई गई थी।  
    • बाद में राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (NHIDCL) द्वारा इसे एक निजी कंपनी को पुनः सौंप दिया गया।  
  • सामरिक महत्त्व  
    • यह बर्फबारी-प्रवण क्षेत्र में स्थित है, जो कठोर सर्दियों के दौरान सड़क मार्ग से पहुँच सुनिश्चित करता है।  
    • यह ज़ोजिला सुरंग परियोजना का एक हिस्सा है, जो लद्दाख तक सभी मौसम में कनेक्टिविटी के लिये महत्त्वपूर्ण है।  
    • यह रक्षा तैयारियों के लिये पाकिस्तान और पूर्वी लद्दाख के निकट सीमावर्ती क्षेत्रों में सैन्य कर्मियों और आपूर्ति की त्वरित आवाजाही की सुविधा प्रदान करता है।  
  • महत्त्व  
    • क्षेत्रीय पर्यटन और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।  
    • रणनीतिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में भारतीय रक्षा बलों के लिये बुनियादी ढाँचे को दृढ़ करता है।  

  • सीमा सड़क संगठन (BRO): 1960 में स्थापित, BRO भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़क बुनियादी ढाँचे के विकास और रखरखाव के लिये ज़िम्मेदार है, जो रणनीतिक और विकासात्मक उद्देश्यों के लिये चुनौतीपूर्ण इलाकों में कनेक्टिविटी पर ध्यान केंद्रित करता है।  
  • राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (NHIDCL): वर्ष 2014 में स्थापित, NHIDCL एक सरकारी इकाई है जिसका कार्य पहाड़ी, सीमावर्ती और दूरदराज़ के क्षेत्रों में राजमार्गों और बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं का निर्माण और प्रबंधन करना है ताकि कनेक्टिविटी बढ़ाई जा सके और राष्ट्रीय विकास को समर्थन दिया जा सके।