विश्व आयोडीन अल्पता दिवस 2024

विविध


 21-Oct-2024
  • मानव स्वास्थ्य में आयोडीन के महत्त्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये यह दिवस प्रतिवर्ष 21 अक्तूबर को मनाया जाता है । 
  • यह दिन आयोडीन की कमी से होने वाले दुष्परिणामों, जैसे घेंघा (Goiter) और अन्य स्वास्थ्य संबंधी विकारों की याद दिलाता है। 
  • यह देशों को आयोडीन की कमी की रोकथाम और प्रबंधन के लिये उपाय लागू करने के लिये प्रोत्साहित करता है 

आयोडीन  

  • यह एक रासायनिक तत्त्व है जिसका प्रतीक I और परमाणु संख्या 53 है। 
  • यह हैलोजन समूह का सदस्य है और आमतौर पर प्रकृति में द्विपरमाणुक अणु (I₂) या विभिन्न यौगिकों के रूप में पाया जाता है। 
  • यह कमरे के तापमान पर चमकदार, बैंगनी-काले ठोस पदार्थ के रूप में दिखाई देता है तथा बैंगनी वाष्प के रूप में उर्ध्वपातित हो सकता है। 
  • आवश्यक पोषक तत्त्व: यह थायरॉइड हार्मोन (थायरॉक्सिन और ट्राईआयोडोथायोनिन) के संश्लेषण के लिये महत्त्वपूर्ण है, जो मनुष्यों और पशुओं में चयापचय, बुज़ुर्गि एवं विकास को नियंत्रित करता है। 
  • कमी के परिणाम: अपर्याप्त आयोडीन सेवन से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं, जैसे कि घेंघा (थायरॉयड ग्रंथि का बढ़ना), हाइपोथायरायडिज्म और बच्चों में विकास संबंधी देरी। 
  • खाद्य पदार्थों और आयोडीन युक्त नमक में पाया जाने वाला आयोडीन विभिन्न रूपों में पाया जाता है, जिनमें सोडियम एवं पोटेशियम लवण, अकार्बनिक आयोडीन (I2), आयोडेट तथा आयोडाइड शामिल हैं।   
  • आयोडाइड, इसका सबसे सामान्य रूप है, जो आमाशय में शीघ्रता से अवशोषित हो जाता है तथा थायरॉयड द्वारा हार्मोन उत्पादन के लिये उपयोग किया जाता है। 
  • सरकारी पहल 
    • आयोडीन की कमी के गंभीर स्वास्थ्य प्रभावों को समझते हुए, सरकार ने वर्ष 1962 में राष्ट्रीय घेंघा नियंत्रण कार्यक्रम (National Goitre Control Programme- NGCP) के माध्यम से इस समस्या से निपटने के लिये राष्ट्रीय प्रयास शुरू किये।   
    • वर्ष 1992 में कार्यक्रम का विस्तार किया गया और इसका नाम बदलकर राष्ट्रीय आयोडीन अल्पता विकार नियंत्रण कार्यक्रम (National Iodine Deficiency Disorders Control Programme- NIDDCP) कर दिया गया। 
    • नए कार्यक्रम का उद्देश्य आयोडीन की कमी से होने वाले विकारों (Iodine Deficiency Disorders- IDD) के व्यापक दायरे का समाधान करना है। 
  • प्राथमिक लक्ष्य   
    • घरेलू स्तर पर पर्याप्त मात्रा में आयोडीन युक्त नमक (15 ppm आयोडीन के साथ) का 100% उपभोग सुनिश्चित करना।
    • देश भर में IDD की व्यापकता को 5% से नीचे लाना।