विश्व टीकाकरण दिवस 2024

विविध


 11-Nov-2024

यह प्रतिवर्ष 10 नवंबर को मनाया जाता है। 

  • यह संक्रामक रोगों की रोकथाम और सार्वजनिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में टीकों के महत्त्व पर ज़ोर देता है। 
  • यह दिन वैश्विक स्तर पर कार्यवाही का आह्वान है, जो देशों, स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और समुदायों को टीकाकरण कवरेज को मज़बूत करने तथा वंचित आबादी तक पहुँचने के लिये प्रोत्साहित करता है। 
  • भारत में विश्व टीकाकरण दिवस का विशेष महत्त्व है, क्योंकि देश का ध्यान दूरदराज और पिछड़े क्षेत्रों तक टीकाकरण कवरेज बढ़ाने, सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा करने एवं बाल मृत्यु दर को कम करने पर है। 

भारत में टीकाकरण का महत्त्व 

  • खसरा, पोलियो, तपेदिक और कोविड-19 जैसे रोगों के लिये टीकाकरण को अत्यधिक प्रभावी और किफायती साधन माना जाता है। 
  • संक्रामक रोगों की घटनाओं को कम करके, टीके सामूहिक प्रतिरक्षा और सामुदायिक स्वास्थ्य में योगदान देते हैं। 
  • बाल मृत्यु दर पर प्रभाव : टीकाकरण भारत के सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयासों का केंद्र रहा है, जिसमें सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम और मिशन इंद्रधनुष जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से प्रगति हुई है, जिनका उद्देश्य बाल मृत्यु दर को कम करना और टीके से रोके जा सकने वाले रोगों का उन्मूलन करना है। 
  • भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य उपलब्धियाँ 
    • कोविड-19 टीकाकरण अभियान : वर्ष 2021 में शुरू किये गए भारत के कोविड-19 टीकाकरण अभियान के तहत वर्ष 2023 की शुरुआत तक 220 करोड़ से अधिक खुराकें दी जाएंगी, जिसमें 97% को एक खुराक दी जाएगी और 90% को पूर्ण टीकाकरण दिया जाएगा। 
    • पोलियो-मुक्त प्रमाणन : वर्ष 2014 में, भारत को पोलियो-मुक्त प्रमाणित किया गया, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य में एक बड़ी उपलब्धि थी, क्योंकि इस रोग से ग्रस्त देशों से पोलियो के आयात के निरंतर ज़ोखिम के बावजूद सतर्कता बनाए रखी गई। 
    • मातृ एवं नवजात शिशु में टेटनस का उन्मूलन : अप्रैल 2015 में प्राप्त उपलब्धि के साथ भारत में टेटनस की घटनाओं को घटाकर प्रति 1,000 जीवित जन्मों में 1 से भी कम कर दिया गया, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य में एक और बड़ा कदम है। 
    • यॉज़-मुक्त प्रमाणन : भारत विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा यॉज़-मुक्त प्रमाणित होने वाला पहला देश बन गया, जिससे हाशिये पर पड़े समुदायों को प्रभावित करने वाली बीमारियों के उन्मूलन के प्रति इसकी प्रतिबद्धता उज़ागर हुई। 

सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (UIP) 

  • शुभारंभ और दायरा : वर्ष 1978 में विस्तारित टीकाकरण कार्यक्रम के रूप में स्थापित, यह वर्ष 1985 में UIP बन गया, जिसने स्वास्थ्य देखभाल असमानताओं को दूर करने के लिये ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण कवरेज का विस्तार किया। 
  • मुख्य सफलताएँ : 
    • प्रत्येक वर्ष लगभग 2.67 करोड़ नवजात शिशुओं और 2.9 करोड़ गर्भवती महिलाओं को लाभान्वित करने का लक्ष्य है। 
    • पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर वर्ष 2014 में प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर 45 से घटकर वर्ष 2020 में प्रति 1,000 पर 32 हो गई। 
    • वित्त वर्ष 2023-24 के लिये पूर्ण टीकाकरण कवरेज देश भर में 93.23% तक पहुँच गया। 
  • उपलब्ध कराए गए टीके : UIP 12 बीमारियों के लिये निःशुल्क टीके उपलब्ध कराता है, जिनमें डिप्थीरिया, टेटनस, पोलियो, खसरा, हेपेटाइटिस B के लिये राष्ट्रव्यापी टीकाकरण, तथा जापानी इंसेफेलाइटिस और न्यूमोकोकल न्यूमोनिया जैसे क्षेत्र-विशिष्ट टीके शामिल हैं। 

मिशन इंद्रधनुष 

  • लॉन्च: वर्ष 2014, 
  • इसका उद्देश्य बच्चों के लिये पूर्ण टीकाकरण कवरेज को बढ़ाना है, विशेष रूप से कम टीकाकरण दर वाले क्षेत्रों को लक्ष्य करके यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी बच्चा असुरक्षित न रहे। 
  • उपलब्धियाँ : 
    • यह दुर्गम क्षेत्रों और हाशिये पर पड़े समुदायों को कवर करता है, तथा पहले वर्ष में ही कवरेज में 6.7% की वृद्धि हासिल करता है। 
    • ग्राम स्वराज अभियान जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रमों के साथ एकीकृत, 541 ज़िलों के 16,850 गाँवों और आकांक्षी ज़िलों के 48,000 से अधिक गाँवों तक पहुँच बढ़ाई गई। 

U-WIN पोर्टल 

  • यह UIP के तहत गर्भवती महिलाओं और 17 वर्ष तक के बच्चों के लिये टीकाकरण को सुव्यवस्थित करने और ट्रैक करने के लिये एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो उपयोगकर्त्ता के अनुकूल प्रणाली के माध्यम से टीकाकरण रिकॉर्ड तक आसान पहुँच प्रदान करता है। 
  • विशेषताएँ और पहुँच : 
    • 'किसी भी समय पहुँच' और 'कहीं भी' टीकाकरण शेड्यूलिंग की अनुमति देता है । 
    • QR-आधारित ई-टीकाकरण प्रमाणपत्र और आयुष्मान भारत स्वास्थ्य ID बनाने के विकल्प प्रदान करता है । 
    • सितंबर 2024 तक 6.46 करोड़ से अधिक लाभार्थियों और 23.06 करोड़ खुराकों के साथ 11 क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध है।