थोक खाद्य मुद्रास्फीति
भारतीय अर्थव्यवस्था
17-Dec-2024
चर्चा में क्यों?
नवंबर 2024 में थोक मूल्यों में मुद्रास्फीति 1.9% तक कम हो जाएगी।
मुद्रास्फीति क्या है?
मुद्रास्फीति से तात्पर्य वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में वृद्धि से है, जिससे क्रय शक्ति कम हो जाती है।
मुद्रास्फीति के कारण
- मांग-जनित (Demand-Pull): उच्च मांग से कीमतें बढ़ जाती हैं।
- लागत-वृद्धि (Cost-Push): उत्पादन लागत बढ़ने से कीमतें बढ़ जाती हैं।
- मज़दूरी-मूल्य (Wage-Price): मज़दूरी वृद्धि और मूल्य वृद्धि के बीच का चक्र।
भारत में खाद्य मुद्रास्फीति को मापना
- CPI (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक/ Consumer Price Index): उपभोक्ताओं के लिये वस्तुओं और सेवाओं की लागत को मापता है।
- CFPI (उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक/ Consumer Food Price Index): खाद्य वस्तुओं में मूल्य परिवर्तन पर नज़र रखता है।
- WPI (थोक मूल्य सूचकांक/ Wholesale Price Index): थोक में बेची गई वस्तुओं के मूल्य परिवर्तन को मापता है।
मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिये सरकारी पहल
- सब्सिडी वाली वस्तुएँ: सब्सिडी वाली सब्जियों और अनाज का वितरण।
- आयात शुल्क में कटौती: घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिये।
- निर्यात प्रतिबंध: कीमतों को नियंत्रित करने के लिये कुछ वस्तुओं के निर्यात को रोकना।
- ऑपरेशन ग्रीन्स: टमाटर, प्याज और आलू की आपूर्ति को स्थिर करना।
खाद्य मुद्रास्फीति से निपटने की रणनीतियाँ
- उन्नत आपूर्ति शृंखला: कुशल रसद और भंडारण प्रणाली।
- कृषि उत्पादकता: फसल की पैदावार बढ़ाने के लिये प्रौद्योगिकी में निवेश करना।
- मूल्य निगरानी: शोषण को रोकने के लिये खाद्य कीमतों को विनियमित करना।
- कृषि विविधीकरण: किसानों को विविध फसलें उगाने के लिये प्रोत्साहित करना।
- जलवायु अनुकूलता: कृषि पर जलवायु प्रभाव को कम करने के लिये स्मार्ट प्रथाओं को अपनाना।