09-Apr-2025
पश्चिम बंगाल के नए GI टैग
चर्चा में क्यों?
पश्चिम बंगाल को हाल ही में अपने सात पारंपरिक उत्पादों के लिये भौगोलिक संकेत (GI) टैग प्राप्त हुए हैं, जिनमें 'नोलेन गुरेर संदेश' और बरूईपुर अमरूद जैसी प्रसिद्ध वस्तुएँ शामिल हैं।
GI टैग क्या है?
- भौगोलिक संकेत (GI) एक विशेष लेबल है जिसका उपयोग उन उत्पादों के लिये किया जाता है जो किसी विशेष स्थान से आते हैं और अपनी गुणवत्ता, प्रतिष्ठा या उस क्षेत्र से संबंधित विशिष्ट विशेषताओं के लिये जाने जाते हैं।
- यह पारंपरिक उत्पादों को नकल या दुरुपयोग से बचाने में सहायता करता है। केवल वही वस्तुएँ कानूनी रूप से GI नाम का उपयोग कर सकती हैं जो वास्तव में उस क्षेत्र से आती हैं।
पश्चिम बंगाल के लिये GI टैग क्यों महत्त्वपूर्ण है?
GI टैग मिलना पश्चिम बंगाल की स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिये एक बड़ा प्रोत्साहन है। यह स्थानीय किसानों, कारीगरों और मिठाई निर्माताओं का समर्थन प्रदान करता है, साथ ही राज्य की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं को भी प्रदर्शित करता है। ये टैग पारंपरिक उत्पादों को वैश्विक बाज़ारों तक पहुँचने और अधिक खरीदारों को आकर्षित करने में सहायता करते हैं।
GI टैग वाले 7 नए उत्पाद
- नोलेन गुरेर संदेश- छेना (पनीर) और खजूर के गुड़ से बनी एक सर्दियों की मिठाई, जो अपने विशिष्ट स्वाद के लिये पसंद की जाती है।
- कामारपुकुर का सफेद बोंडे- एक पारंपरिक मिठाई जो अपने समृद्ध स्वाद के लिये प्रसिद्ध है।
- मुर्शिदाबाद की छाना बोरा- छेना से बनी एक लोकप्रिय मिठाई।
- बिष्णुपुर के मोतीचूर लड्डू- अपनी मुलायम बनावट और स्वाद के लिये प्रसिद्ध।
- रधुनिपागल चावल- एक विशेष चावल की किस्म जो अपनी सुगंध और गुणवत्ता के लिये जानी जाती है।
- मालदा का निस्तारी सिल्क यार्न- इसकी चिकनी फिनिश और चमक के लिये मूल्यवान।
- बरुईपुर अमरूद- अपने स्वाद और स्वास्थ्य लाभ के लिये प्रसिद्ध।
GI टैग प्राप्त करने से स्थानीय अर्थव्यवस्था को किस प्रकार सहायता मिलती है
ये GI टैग उत्पादों को विशिष्ट पहचान प्रदान करते हैं, जिससे किसानों, छोटे व्यवसायों और कारीगरों के लिये अधिक रोज़गार के अवसर उत्पन्न होते हैं। यह यह भी सुनिश्चित करता है कि उत्पाद के नाम का दुरुपयोग न हो, जिससे उनकी प्रामाणिकता और मौलिकता सुरक्षित रहती है।