06-Mar-2025
वालेस लाइन
भूगोल
चर्चा में क्यों?
19वीं शताब्दी में अल्फ्रेड वालेस ने एशिया और ऑस्ट्रेलिया के बीच प्रजातियों की संरचना में तीव्र अंतर देखा, जिसके कारण वालेस लाइन की पहचान हुई।
वालेस लाइन क्या है?
- परिभाषा : विशिष्ट एशियाई और ऑस्ट्रेलियाई पारिस्थितिकी प्रणालियों को पृथक करने वाली एक काल्पनिक सीमा।
- अवस्थिति : मकास्सर जलडमरूमध्य (बोर्नियो और सुलावेसी के बीच) और बाली और लोम्बोक के बीच से होकर सुंडा और साहुल महाद्वीपीय शेल्फ को विभाजित करता है।
- प्रजाति वितरण
- वैलेस लाइन के पश्चिम (बाली, बोर्नियो, जावा): बंदर, गैंडे, बाघ और हॉर्नबिल जैसी एशियाई प्रजातियाँ।
- वैलेस लाइन के पूर्व (लोम्बोक, सुलावेसी, तिमोर, ऑस्ट्रेलिया): टी कंगारू, कॉकटू और मधुभक्षी जैसी ऑस्ट्रेलियाई प्रजातियाँ।
वालेसिया क्षेत्र
- वालेस लाइन और वेबर लाइन के बीच का क्षेत्र।
- इसमें सुलावेसी, फ्लोरेस, लोम्बोक, तिमोर शामिल हैं, जिनमें कोमोडो ड्रैगन, बेबीरुसा और विशाल मधुमक्खियाँ जैसी अनोखी प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
वालेस लाइन का गठन
- महाद्वीपीय विस्थापन: 85 मिलियन वर्ष पूर्व, ऑस्ट्रेलिया अंटार्कटिका से पृथक हो गया, जिससे प्रजातियाँ अलग हो गईं और स्वतंत्र विकास को बढ़ावा मिला।
- गहरे महासागरीय अवरोध : मकास्सर जलडमरूमध्य जलमग्न रहा, जिससे प्रजातियों का प्रवास बाधित हुआ।
- जलवायु अनुकूलन : एशियाई और ऑस्ट्रेलियाई प्रजातियाँ अलग-अलग वातावरण में अनुकूलन करते हुए अलग-अलग विकसित हुईं।