चर्चा में क्यों?
वियतनाम और चीन ने बीजिंग द्वारा वियतनामी मछुआरों पर "क्रूर" हमले के आरोपों के पश्चात दक्षिण चीन सागर विवाद पर तनाव कम करने पर सहमति जताई है। उनके मजबूत व्यापारिक संबंधों के बावजूद, ऐतिहासिक तनाव बना हुआ है, खासकर इस क्षेत्र में चीन के दावों को लेकर, जिसे एक अंतरराष्ट्रीय फैसले ने कानूनी रूप से निराधार माना है।
दक्षिण चीन सागर
- रणनीतिक स्थिति: दक्षिण चीन सागर की सीमा निम्नलिखित से लगती है:
- उत्तर में चीन और ताइवान
- पश्चिम में भारत-चीनी प्रायद्वीप (जिसमें वियतनाम, थाईलैंड, मलेशिया और सिंगापुर शामिल हैं)।
- दक्षिण में इंडोनेशिया और ब्रुनेई।
- पूर्व में फिलीपींस (जिसे पश्चिमी फिलीपींस सागर कहा जाता है)।
- यह ताइवान जलडमरूमध्य द्वारा पूर्वी चीन सागर से तथा लूज़ोन जलडमरूमध्य द्वारा फिलीपीन सागर (दोनों प्रशांत महासागर के सीमांत समुद्र) से जुड़ा हुआ है।
- दक्षिण चीन सागर का व्यापारिक महत्त्व
- सामरिक एवं अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन केंद्र (CSIS) के अनुसार, परिमाण की दृष्टि से 80% वैश्विक व्यापार तथा मूल्य की दृष्टि से 70% व्यापार समुद्र के रास्ते होता है, जिसमें से 60% एशिया से होकर गुज़रता है तथा वैश्विक नौवहन का एक-तिहाई हिस्सा दक्षिण चीन सागर से होकर गुज़रता है।
- विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन, दक्षिण चीन सागर पर बहुत ज़्यादा निर्भर है, अनुमान है कि इसका 64% व्यापार इसी क्षेत्र से होकर गुज़रता है। इसके विपरीत, संयुक्त राज्य अमेरिका का केवल 14% व्यापार ही इन जलमार्गों से होकर गुज़रता है।
- भारत अपने लगभग 55% व्यापार के लिये इस क्षेत्र पर निर्भर है।
- मछली पकड़ने का क्षेत्र: दक्षिण चीन सागर भी मछली पकड़ने का एक समृद्ध क्षेत्र है, जो इस क्षेत्र के लाखों लोगों के लिये आजीविका और खाद्य सुरक्षा का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत प्रदान करता है।
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