ऐतिहासिक PSLV-C-37 मिशन का अपर स्टेज पृथ्वी के वायुमंडल में पुनः प्रवेश कर गया

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी


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 09-Oct-2024

चर्चा में क्यों? 

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने घोषणा की है कि PSLV C-37 मिशन का अपर स्टेज प्रक्षेपण के आठ वर्ष बाद अक्तूबर 2024 की शुरुआत में पृथ्वी के वायुमंडल में फिर से प्रवेश करेगा। ISRO के सुरक्षित एवं सतत् अंतरिक्ष संचालन प्रबंधन प्रणाली (IS4OM) ने सितंबर से क्षय की निगरानी की, जिससे निष्क्रिय वस्तुओं के कक्षीय जीवन को 25 वर्षों से कम तक सीमित करने के लिये अंतर-एजेंसी अंतरिक्ष मलबा समन्वय समिति (IADC) के दिशानिर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित हुआ। 

ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) C-37 मिशन 

  • लॉन्च तिथि : 15 फरवरी 2017 
  • प्रक्षेपण स्थल : सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा 
  • यह भारतीय ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) कार्यक्रम का 39वाँ मिशन था। 
  • इस मिशन में कुल 104 उपग्रह लॉन्च किये गये, जिनमें अमेरिका, कनाडा, फ्राँस और जर्मनी जैसे देशों के 101 विदेशी उपग्रह तथा तीन भारतीय उपग्रह शामिल थे। 
  • इसने उस समय एक ही मिशन में सर्वाधिक संख्या में उपग्रह लॉन्च करने का विश्व रिकार्ड बनाया तथा रूस के पिछले रिकार्ड को पीछे छोड़ दिया। 

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) 

  • स्थापना: वर्ष 1969 
  • मुख्यालय: बेंगलुरु, कर्नाटक 
  • अध्यक्ष: डॉ. श्रीधर पणिक्कर सोमनाथ 
  • यह अंतरिक्ष विभाग के अधीन अंतरिक्ष एजेंसी है। 
  • यह भारत में अंतरिक्ष अनुसंधान और अन्वेषण गतिविधियों की योजना और क्रियान्वयन के लिये ज़िम्मेदार है। 
  • एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड (ACL) अंतरिक्ष उत्पादों के प्रचार और वाणिज्यिक उपयोग, तकनीकी परामर्श सेवाओं और प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण के लिये एक विपणन शाखा है। 
  • भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह (INSAT) प्रणाली एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सबसे बड़ी घरेलू संचार उपग्रह प्रणालियों में से एक है। 
  • मुख्य सफलताएँ  
    • INSAT शृंखला: दूरसंचार, प्रसारण, मौसम विज्ञान और खोज एवं बचाव कार्यों के लिये एक बहुउद्देश्यीय उपग्रह प्रणाली। 
    • IRS शृंखला: भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रह जो कृषि, वानिकी, भूमि उपयोग मानचित्रण और आपदा प्रबंधन के लिये मूल्यवान डेटा प्रदान करते हैं। 
    • SLV-3 : भारत का पहला उपग्रह प्रक्षेपण यान जिसने 1980 में रोहिणी उपग्रह को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित किया। 
    • GSLV (जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल): भूस्थिर कक्षाओं में भारी पेलोड को लॉन्च करने में सक्षम, जिससे भारत की उपग्रह क्षमताओं में वृद्धि होगी। 
    • मंगल ऑर्बिटर मिशन (मंगलयान): वर्ष 2013 में लॉन्च, इसने भारत को मंगल ग्रह की कक्षा में पहुँचने वाला पहला एशियाई देश और विश्व स्तर पर चौथी अंतरिक्ष एजेंसी बना दिया। 
    • चंद्रयान-1: वर्ष 2008 में लॉन्च यह भारत का पहला चन्द्रमा मिशन था, जिसने चंद्रमा की सतह पर जल के अणुओं की खोज की थी। 
    • चंद्रयान-3: वर्ष 2019 में लॉन्च किया गया, जिसका उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव का अन्वेषण करना था, जिसमें एक ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) शामिल थे। 
    • एस्ट्रोसैट: वर्ष 2015 में लॉन्च, यह भारत की पहली समर्पित बहु-तरंगदैर्घ्य अंतरिक्ष वेधशाला है, जो खगोल भौतिकी के विभिन्न क्षेत्रों में योगदान दे रही है।