समान नागरिक संहिता (UCC)
भारतीय राजनीति
21-Jan-2025
चर्चा में क्यों?
उत्तराखंड भारत में समान नागरिक संहिता (UCC) को लागू करने वाला पहला राज्य बनने जा रहा है, जो एक ऐतिहासिक कदम है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य सरकार ने UCC नियम पुस्तिका को मंज़ूरी दे दी है, जिसमें पंजीकरण सेवाओं से संबंधित महत्त्वपूर्ण प्रावधान शामिल हैं।
समान नागरिक संहिता (UCC)
- UCC: परिचय
- समान नागरिक संहिता का उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 44 में राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों के अंतर्गत किया गया है, जो पूरे भारत में सभी नागरिकों के लिये समान नागरिक कानूनों की वकालत करता है।
- इसका कार्यान्वयन सरकार के विवेक पर छोड़ दिया गया है।
- गोवा एकमात्र भारतीय राज्य है जहाँ समान नागरिक संहिता (UCC) लागू है, जो 1867 के पुर्तगाली नागरिक संहिता पर आधारित है।
- ऐतिहासिक संदर्भ: ब्रिटिश भारत ने समान आपराधिक कानूनों को लागू किया, लेकिन पारिवारिक कानूनों को उनके संवेदनशील स्वभाव के कारण मानकीकरण से बचा गया। संविधान सभा में, कुछ मुस्लिम सदस्यों ने व्यक्तिगत कानूनों के प्रति अपनी चिंताओं के कारण आपराधिक संहिता का विरोध किया, जबकि के.एम. मुंशी, अल्लादी कृष्णस्वामी और बी.आर. अंबेडकर जैसे नेताओं ने समानता के लिये इसके समर्थन में आवाज़ उठाई।
- UCC पर भारत के सर्वोच्च न्यायालय का दृष्टिकोण
- विधि आयोग का दृष्टिकोण
- 21वें विधि आयोग (2018) ने उस समय UCC के निर्माण को "न तो आवश्यक और न ही वांछनीय" माना और इसके बजाय पारिवारिक कानूनों में सुधार की अनुशंसा की।
क्या आप जानते हैं?
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