03-Mar-2025
तुगलक वंश (1320 - 1414 ई.)
इतिहास
तुगलक वंश:
तुगलक वंश दिल्ली सल्तनत का एक शासक परिवार था, जो खिलजी वंश का उत्तराधिकारी था। इसने 1320 से 1414 तक शासन किया और यह अपनी महत्वाकांक्षी परियोजनाओं, प्रशासनिक सुधारों और आर्थिक चुनौतियों के लिये जाना जाता है।
मुख्य शासक
- गयासुद्दीन तुगलक (1320 - 1325 ई.)
- तुगलक वंश का संस्थापक।
- साम्राज्य की सैन्य और प्रशासनिक संरचना को सुदृढ़ किया।
- दिल्ली में तुगलकाबाद किला बनवाया।
- मुहम्मद बिन तुगलक (1325 - 1351 ई.)
- अपने महत्वाकांक्षी किंतु असफल प्रयोगों के लिये प्रसिद्ध।
- राजधानी को दिल्ली से दौलताबाद (महाराष्ट्र) स्थानांतरित कर दिया गया, जिससे कठिनाइयाँ उत्पन्न हुईं।
- सांकेतिक मुद्रा (ताँबे के सिक्के) शुरू की गई, जिससे जालसाजी और आर्थिक पतन को बढ़ावा मिला।
- दक्कन और मध्य एशिया में असफल सैन्य अभियान चलाए।
- उनकी सख्त नीतियों के कारण उन्हें व्यापक विरोध का सामना करना पड़ा।
- फिरोज़ शाह तुगलक (1351 - 1388 ई.)
- कल्याण और बुनियादी ढाँचे के विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- नहरें, विश्राम गृह और मस्जिदें बनवाईं।
- फिरोज़ाबाद (अब दिल्ली में) की स्थापना की तथा कुतुब मीनार की मरम्मत कराई।
- गैर-मुसलमानों पर जजिया कर लगाया गया।
- प्रशासन ने दास रोज़गार को बढ़ावा देने के लिये प्रयास किये।
- तुगलक वंश का पतन (1388 – 1414 ई.)
- फिरोज़शाह के बाद कमज़ोर शासकों ने शासन किया, जिससे राजनीतिक अस्थिरता उत्पन्न हो हुई।
- तैमूर के आक्रमण (1398) ने साम्राज्य को और शक्तिहीन कर दिया, जिससे दिल्ली में बड़े पैमाने पर विनाश हुआ।
- नासिरुद्दीन महमूद शाह (1394-1414) को खुसरो खान ने सत्ता से हटा दिया, जिसके परिणामस्वरूप इस राजवंश का अंत हो गया।
- राजवंश के पतन के परिणामस्वरूप 1414 में सैय्यद राजवंश का उदय हुआ।