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 07-Mar-2025

हिंद महासागर का भू-रणनीतिक महत्त्व

भूगोल

हिंद महासागर: परिचय   

  • यह विश्व का तीसरा सबसे बड़ा महासागर है।  
  • यह मुख्य रूप से विकासशील देशों और द्वीपीय राज्यों से घिरा हुआ है, जिसमें मेडागास्कर भी शामिल है, जो विश्व स्तर पर चौथा सबसे बड़ा द्वीप है।  
  • इसकी सीमा उत्तर में एशिया, पश्चिम में अफ्रीका, पूर्व में ऑस्ट्रेलिया से लगती है और दक्षिण में अंटार्कटिका है।  
  • हिंद महासागर के भीतर प्रमुख जल निकाय: लाल सागर (अरब प्रायद्वीप और अफ्रीका के बीच), अरब सागर (भारत के पश्चिम में) और बंगाल की खाड़ी (भारत के पूर्व में, जो सबसे बड़ी खाड़ी भी है)।  

ऐतिहासिक महत्त्व  

  • इसका नाम इस क्षेत्र में भारत के ऐतिहासिक प्रभाव से लिया गया है।  
  • यह मणिग्रामम चेट्टी और नानादेसी जैसे व्यापारियों और पल्लव, चोल और आंध्र जैसे राजवंशों के लिये एक महत्त्वपूर्ण व्यापार मार्ग था।  
  • कौटिल्य के अर्थशास्त्र जैसे प्राचीन ग्रंथों में समुद्री महत्त्व पर प्रकाश डाला गया है।  
  • फाहियान (415 ई.) ने भारत के मजबूत व्यापारिक और धार्मिक प्रभाव का उल्लेख किया है।  
  • प्रथम सहस्राब्दी में भारत का समुद्री व्यापार पर प्रभुत्व था, जबकि बाद में यूरोपीय औपनिवेशिक शक्तियों ने महासागर पर नियंत्रण कर लिया।  

हिंद महासागर का महत्त्व  

  • सांस्कृतिक एवं क्षेत्रीय संपर्क  
    • वैश्विक शक्ति प्रतिस्पर्धा की भूराजनीतिक संरचना, हिंद-प्रशांत के विपरीत, हिंद महासागर स्वाभाविक रूप से इतिहास और संस्कृति के माध्यम से 26 देशों को जोड़ता है।  
    • यह नेपाल और भूटान जैसे स्थल-रुद्ध देशों के लिये जीवन-रेखा है।  
  • आर्थिक महत्त्व  
    • यह एक प्रमुख वैश्विक व्यापार मार्ग के रूप में कार्य करता है, जो फारस की खाड़ी को मलक्का जलडमरूमध्य से जोड़ता है।  
    • वैश्विक कंटेनर यातायात का 70% संभालता है।  
    • यह भारत के 80% बाह्य व्यापार और 90% ऊर्जा आयात को सुगम बनाता है।  
  • सामरिक महत्त्व  
    • इस क्षेत्र में सैन्य और वाणिज्यिक गतिविधियां बढ़ रही हैं।  
    • अमेरिका और ब्रिटेन (डिएगो गार्सिया) और फ्राँस (रीयूनियन द्वीप) में उपस्थिति है।  
    • चीन निवेश के माध्यम से अपना प्रभाव बढ़ा रहा है।  

भारत की समुद्री पहल और चुनौतियाँ  

  • उठाए गए प्रमुख कदम  
  • प्रधानमंत्री मोदी का लक्ष्य भारत को एक शक्तिशाली देश और वैश्विक दक्षिण की आवाज के रूप में स्थापित करना है।  
  • समुद्री प्रभाव को दृढ़ करने के लिये 2015 में SAGAR (क्षेत्र में सभी के लिये सुरक्षा और विकास) का शुभारंभ किया गया।