बुलडोज़र न्याय पर सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देश: उचित प्रक्रिया सुनिश्चित करने की दिशा में एक कदम
भारतीय राजनीति
14-Nov-2024
चर्चा में क्यों?
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य के अधिकारियों द्वारा संपत्तियों के ध्वस्तीकरण को विनियमित करने के लिये ऐतिहासिक दिशा-निर्देश जारी किये हैं, जिसमें "बुलडोज़र न्याय" के मुद्दे को संबोधित किया गया है। इस शब्द ने तब ध्यान आकर्षित किया जब आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ दंडात्मक उपाय के रूप में बिना उचित प्रक्रिया के ध्वस्तीकरण किया गया। न्यायालय के फैसले में ध्वस्तीकरण से पहले पारदर्शिता, जवाबदेही और संवैधानिक अधिकारों के पालन की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया है।
बुलडोज़र न्याय पर दिशानिर्देश
- सर्वोच्च न्यायालय ने यह सुनिश्चित करने के लिये महत्त्वपूर्ण दिशा-निर्देश निर्धारित किये हैं कि राज्य प्राधिकारियों द्वारा की जाने वाली ध्वस्तीकरण उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए की जाए और व्यक्तियों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन न किया जाए। दिशा-निर्देशों में शामिल हैं:
- सूचना प्रदान करना :
- किसी भी ध्वस्तीकरण से पहले संपत्ति के मालिक या अधिभोगी को कम से कम 15 दिन का नोटिस दिया जाना चाहिये।
- नोटिस में ध्वस्त की जाने वाली संरचना, ध्वस्तीकरण के कारण तथा व्यक्तिगत सुनवाई की तारीख का उल्लेख होना चाहिये, जहाँ मालिक इस कार्यवाही का विरोध कर सके।
- पिछली तिथि के आरोपों से बचने के लिये नोटिस की पावती स्थानीय कलेक्टर या ज़िला मजिस्ट्रेट को भी ई-मेल के माध्यम से भेजी जानी चाहिये।
- सुनवाई एवं अंतिम आदेश :
- उचित सुनवाई होनी चाहिये तथा कार्यवाही का विवरण दर्ज किया जाना चाहिये।
- अंतिम आदेश में मालिक द्वारा दिये गए तर्क, ध्वस्तीकरण के लिये प्राधिकारी का औचित्य, तथा क्या सम्पूर्ण संपत्ति या उसका कोई भाग ध्वस्त किया जाएगा, जैसे विवरण शामिल होने चाहिये।
- ध्वस्तीकरण को एकमात्र विकल्प मानने के कारणों का स्पष्ट उल्लेख किया जाना चाहिये।
- आदेश के बाद की प्रक्रियाएँ :
- अंतिम आदेश जारी होने के बाद, ध्वस्तीकरण कार्य शुरू करने से पहले 15 दिन की प्रतीक्षा अवधि की आवश्यकता होती है।
- इस अवधि के दौरान, संपत्ति मालिक या तो निर्माण हटा सकता है या आदेश को न्यायालय में चुनौती दे सकता है।
- यदि ध्वस्तीकरण की कार्यवाही आगे बढ़ती है, तो इसे वीडियो पर रिकॉर्ड किया जाना चाहिये, तथा निरीक्षण और ध्वस्तीकरण रिपोर्ट तैयार की जानी चाहिये, जिसमें प्रक्रिया और इसमें शामिल कर्मियों का दस्तावेज़ीकरण किया जाना चाहिये।