सुभाष चंद्र बोस और पराक्रम दिवस
इतिहास
23-Jan-2025
चर्चा में क्यों ?
23 जनवरी, 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और अन्य नेताओं ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की, जिसे पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाता है।
सुभाष चंद्र बोस कौन थे?
- एक करिश्माई स्वतंत्रता सेनानी और राष्ट्रवादी नेता, सुभाष चंद्र बोस ने भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- नेताजी के नाम से लोकप्रिय, वे दो बार भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष चुने गए (1938, 1939)।
- बाद में , तत्काल स्वतंत्रता प्राप्त करने के अपने अधिक कट्टरपंथी दृष्टिकोण को लेकर कॉन्ग्रेस के साथ मतभेद होने के बाद उन्होंने अखिल भारतीय फॉरवर्ड ब्लॉक की स्थापना की।
सुभाष चंद्र बोस क्यों पूजनीय हैं?
- राजनीतिक नेतृत्व: बोस 1920-1930 के दशक के दौरान स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से शामिल रहे तथा कॉन्ग्रेस के चरणबद्ध दृष्टिकोण के विपरीत, पूर्ण स्वतंत्रता की मांग की।
- आज़ाद हिंद फौज का गठन :
- 1943 में, उन्होंने अंग्रेजों से लड़ने के लिये भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) को पुनर्गठित किया और उसका नेतृत्व किया, जिसमें युद्धबंदियों और दक्षिण पूर्व एशिया के प्रवासी शामिल थे।
- उन्होंने जापान के सहयोग से निर्वासन में आज़ाद हिंद सरकार भी बनाई।
- जन एवं महिला लामबंदी :
- बोस ने विभिन्न वर्गों और क्षेत्रों के भारतीयों को संगठित किया तथा स्वतंत्रता आंदोलन में संपूर्ण भागीदारी पर बल दिया।
- उन्होंने लैंगिक समानता में अपने विश्वास को दर्शाते हुए, एक पूर्ण महिला लड़ाकू बल, रानी झाँसी रेजिमेंट का गठन किया।
- युवा नेतृत्व: बोस ने भारतीय युवाओं को प्रेरित किया तथा देश की स्वतंत्रता हासिल करने में उनकी भूमिका पर जोर दिया।
- विदेशी राष्ट्रों के साथ कार्य: भारत ने द्वितीय विश्व युद्ध के समय ब्रिटिश शासन को समाप्त करने के लिये जर्मनी और जापान से सहयोग की अपील की।
सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व निहितार्थ
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