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महामारी की तैयारियों के लिये भारत में पशु स्वास्थ्य सुरक्षा को मज़बूत करना

भारतीय अर्थव्यवस्था


 12-Nov-2024

चर्चा में क्यों? 

भारत सरकार ने हाल ही में 'महामारी की तैयारी और प्रतिक्रिया पहल के लिये भारत में पशु स्वास्थ्य सुरक्षा सुदृढ़ीकरण ' की शुरुआत की है। महामारी कोष द्वारा समर्थित इस परियोजना को केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ने 25 अक्तूबर 2024 को पेश किया था, जिसका उद्देश्य पशु स्वास्थ्य खतरों का प्रबंधन करने और संभावित जूनोटिक रोगों को भविष्य की महामारियों को रोकने की भारत की क्षमता को बढ़ाना है।  

परियोजना के बारे में 

  • यह तीन प्रमुख एजेंसियों के सहयोग से संचालित होगा: 
    • एशियाई विकास बैंक (ADB) 
    •  विश्व बैंक 
    • खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) 
  • इसे अगस्त 2026 तक पूरा किया जाना है। 
  • इसमें निम्नलिखित प्रमुख हस्तक्षेपों की परिकल्पना की गई है: 
    • रोग निगरानी और पूर्व चेतावनी प्रणालियों को सुदृढ़ और एकीकृत करना। 
    • बेहतर निदान के लिये प्रयोगशाला नेटवर्क का उन्नयन और विस्तार करना। 
    • व्यापक ज़ोखिम विश्लेषण के लिये अंतर-संचालनीय डेटा प्रणालियों को बढ़ाना। 
    • डेटा विश्लेषण, ज़ोखिम संचार और सीमापार रोगों के प्रबंधन में क्षमता निर्माण। 
    • सीमा पार सहयोग के माध्यम से क्षेत्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा में भारत की भूमिका को बढ़ावा देना। 

महामारी कोष के बारे में 

  • इसकी स्थापना 2022 में इंडोनेशिया की अध्यक्षता में G20 देशों द्वारा की गई थी। 
  • यह संभावित महामारियों की रोकथाम, पता लगाने और उनसे निपटने के लिये आवश्यक क्षमता निर्माण में निम्न और मध्यम आय वाले देशों को सहायता प्रदान करता है। 
  • अपने पहले निवेश दौर में, महामारी कोष ने 2 बिलियन डॉलर जुटाए और 37 देशों के 19 प्रस्तावों को स्वीकार किया, जिसमें पशुपालन विभाग के नेतृत्व में भारत का 25 मिलियन डॉलर का प्रस्ताव भी शामिल था। 
  • यह राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर निवेश को वित्तपोषित करता है, तथा निम्न और मध्यम आय वाले देशों में महामारी की रोकथाम, तैयारी और प्रतिक्रिया पर ध्यान केंद्रित करता है। 
  • कोविड-19 संकट ने उन्नत स्वास्थ्य प्रणालियों और समन्वित कार्यवाही की आवश्यकता को रेखांकित किया है। 
    • यह कोष वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा को मज़बूत करने और महामारी प्रतिक्रिया में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिये समर्पित संसाधनों को जुटाकर इस समस्या का समाधान करता है। 
  • यह सहयोग को बढ़ावा देता है, समन्वय को बढ़ाता है, तथा महामारी की तैयारियों पर वैश्विक वकालत के लिये एक मंच के रूप में कार्य करता है।