संसद के सत्र

भारतीय राजनीति


 25-Nov-2024

चर्चा में क्यों? 

संसद का शीतकालीन सत्र आज से शुरू हो रहा है और 20 दिसंबर तक चलेगा , जिसमें कई विधेयकों पर चर्चा होगी, जिनमें वक्फ अधिनियम (संशोधन) विधेयक, मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक और रेलवे तथा बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक जैसे अन्य विधेयक शामिल हैं। 26 नवंबर को "संविधान दिवस" मनाने के लिये कोई बैठक नहीं होगी। इस बीच, इंडिया ब्लॉक के विपक्षी नेता सत्र के लिये अपनी रणनीति को अंतिम रूप देने के लिये सुबह 10 बजे बैठक की। 

संसद के सत्र:

  • "भारतीय संसद का सत्र" वह अवधि है जब लोक सभा और राज्य सभा दोनों विधायी कर्त्तव्यों को पूरा करने के लिये बुलाई जाती हैं। 
  • ये सत्र निर्वाचित प्रतिनिधियों को बहस करने, विचार-विमर्श करने और देश के शासन तथा प्रगति को प्रभावित करने वाले कानूनों को पारित करने के लिये एक मंच प्रदान करते हैं 
  • भारत में कोई निश्चित संसदीय कैलेंडर नहीं है। 
  • संविधान का  अनुच्छेद 85 केवल यह प्रावधान करता है कि: 
    • राष्ट्रपति  समय-समय पर  संसद के प्रत्येक सदन को ऐसे समय और स्थान पर अधिवेशन के लिये बुलाएगा, जिसे वह उचित समझे। 
    •  संसद के दो सत्रों के बीच अधिकतम अंतराल छह महीने से अधिक नहीं हो सकता। इसलिये, संसद को प्रति वर्ष कम से कम दो सत्र आयोजित करने चाहिये।
    • राष्ट्रपति समय-समय पर दोनों सदनों या किसी भी सदन का सत्रावसान कर सकता है तथा लोकसभा को भंग कर सकता है  । 
    • परम्परा के अनुसार, सामान्यतः एक वर्ष में भारतीय संसद के तीन सत्र होते हैं - बजट सत्र, मानसून सत्र और शीतकालीन सत्र। 

भारतीय संसद के सत्रों के प्रकार 

  • बजट सत्र: 
    • बजट सत्र संसद का सबसे लंबा और सबसे महत्त्वपूर्ण सत्र होता है। 
    • बजट सत्र का प्राथमिक फोकस केंद्रीय बजट की प्रस्तुति, चर्चा और पारित करना है, जिसमें आगामी वित्तीय वर्ष के लिये सरकार की राजस्व और व्यय योजनाओं की रूपरेखा होती है। 
    • हालाँकि, इस सत्र के दौरान अन्य विधायी कार्य और बहसें भी होती हैं। 
    • बजट सत्र सामान्यतः फरवरी से मई तक आयोजित किया जाता है। 
  • मानसून सत्र: 
    • "मानसून सत्र" नाम इस तथ्य से निकला है कि यह भारत में मानसून के मौसम (मौसमी बारिश) के साथ मेल खाता है। 
    • “मानसून सत्र” का प्राथमिक फोकस विधायी कार्य संचालित करना है, जिसमें विधेयकों को पारित करना, महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा और सरकारी नीतियों की जाँच शामिल है। 
    • मानसून सत्र सामान्यतः जुलाई से सितम्बर तक आयोजित होता है। 
  • शीतकालीन सत्र: 
    • मानसून सत्र के समान, शीतकालीन सत्र का प्राथमिक उद्देश्य विधायी कार्य निपटाना तथा अत्यावश्यक मामलों और विधेयकों को प्राथमिकता देना है। 
    • शीतकालीन सत्र सामान्यतः नवंबर से दिसंबर तक आयोजित किया जाता है। 
  • लेम-डक सत्र: 
    • 'लेम-डक सत्र' से तात्पर्य  नई लोकसभा के निर्वाचित होने के बाद पूर्ववर्ती लोकसभा के अंतिम सत्र से है। 
    • पिछली लोकसभा के वे सदस्य जो नई लोकसभा में पुनः निर्वाचित नहीं हो सके, उन्हें '  लेम-डक' कहा जाता है।