राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन का पुनरुद्धार
इतिहास
30-Oct-2024
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय भारत में प्राचीन ग्रंथों को संरक्षित करने के लिये राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन (NMM) को पुनर्जीवित करने और एक स्वायत्त राष्ट्रीय पांडुलिपि प्राधिकरण स्थापित करने की योजना बना रहा है। वर्तमान में, NMM इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र का एक हिस्सा है। वर्ष 2003-24 के बीच, 52 लाख पांडुलिपियों का मेटाडेटा तैयार किया गया है, 3 लाख से अधिक शीर्षकों का डिजिटलीकरण किया गया है और उनमें से एक तिहाई अपलोड किये गए हैं। अपलोड की गई 1.3 लाख पांडुलिपियों में से केवल लगभग 70,000 ही सुलभ हैं।
राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन (NMM)
- इसे भारत की विशाल पाण्डुलिपि विरासत को उज़ागर करने, उसका दस्तावेज़ीकरण करने, संरक्षण करने और उसे सुलभ बनाने के उद्देश्य से वर्ष 2003 में शुरू किया गया था।
- यह भारत के पांडुलिपियों के विशाल संग्रह को संरक्षित करने और दस्तावेज़ीकरण करने के लिये संस्कृति मंत्रालय की एक पहल है।
- संस्कृति विभाग इस मिशन के कार्यान्वयन के लिये ज़िम्मेदार है, जबकि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता है।
- उद्देश्य: यह पांडुलिपियों के संरक्षण और उनमें निहित ज्ञान के प्रसार के लिये समर्पित है, तथा अपने आदर्श वाक्य "भविष्य के लिये अतीत का संरक्षण" की दिशा में काम करता है।
- भारत में अनुमानतः पाँच मिलियन पाण्डुलिपियाँ हैं, जो संभवतः विश्व का सबसे बड़ा संग्रह है।
- 70% पांडुलिपियाँ संस्कृत में हैं।
पांडुलिपियाँ
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