रानी लक्ष्मी बाई
विविध
22-Nov-2024
चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय महिला वीरता की प्रतीक रानी लक्ष्मीबाई को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी।
रानी लक्ष्मी बाई:
- प्रारंभिक जीवन और पृष्ठभूमि:
- जन्म: मणिकर्णिका ताँबे, 19 नवंबर, 1828 को वाराणसी में
- बाद में उन्हें लक्ष्मीबाई के नाम से पहचाना गया।
- वह मोरोपंत ताँबे की संतान थीं और साहस तथा वीरता से परिपूर्ण वातावरण में उनका पालन-पोषण हुआ था।
- छोटी उम्र में ही उनका विवाह झाँसी के महाराजा राजा गंगाधर राव नेवालकर से हुआ और उनका दामोदर राव नाम का एक पुत्र हुआ।
- 1857 के विद्रोह में भूमिका :
- 1853 में उनके पति की मृत्यु के बाद, अंग्रेज़ों ने हड़प नीति का प्रयोग करके झाँसी को हड़पने का प्रयास किया, जिसका उन्होंने कड़ा विरोध किया।
- 1857 के भारतीय विद्रोह के दौरान, उन्होंने हथियार उठाए और झाँसी की रक्षा के लिये अपनी सेना का नेतृत्व किया, जिसमें उन्होंने असीम बहादुरी और सैन्य कौशल का परिचय दिया।
- उन्होंने झाँसी की लड़ाई में भाग लिया, जहाँ ब्रिटिश सेना द्वारा शहर पर कब्ज़ा करने के बावजूद, प्रतिरोध की उनकी विरासत पौराणिक बन गई।
- विरासत:
- बहादुरी और देशभक्ति के प्रतीक के रूप में जानी जाने वाली रानी लक्ष्मीबाई का ब्रिटिश शासन के खिलाफ प्रतिरोध आज भी प्रेरणादायी है।
- उनका युद्धघोष, " क्रांतिकारी रानी " और "जय भवानी, जय शिवाजी " प्रतिरोध की भावना का पर्याय बन गया।
- भारत भर में अनेक स्मारक और श्रद्धांजलि स्थल, जैसे कि रानी झाँसी मरीन नेशनल पार्क और दिल्ली में रानी झाँसी रोड, उनकी स्मृति में बनाये गये हैं।
- मृत्यु और स्थायी प्रेरणा :
- रानी लक्ष्मीबाई 18 जून, 1858 को ग्वालियर के युद्ध में अपनी सेना का नेतृत्व करते हुए शहीद हो गईं।
- एक प्रखर स्वतंत्रता सेनानी और साहस के प्रतीक के रूप में उनकी विरासत भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में एक शाश्वत प्रेरणा बनी हुई है।