भारत छोड़ो आंदोलन, 1942

इतिहास


 10-Sep-2024
  • 8 अगस्त, 1942 को महात्मा गांधी ने मुंबई में अखिल भारतीय कॉन्ग्रेस कमेटी के अधिवेशन में भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की।
  • इस आंदोलन को अगस्त क्रांति के नाम से भी जाना जाता है।
  • गांधी जी ने गोवालिया टैंक मैदान में दिये गए अपने भाषण में “करो या मरो” का नारा दिया था, जिसे अब अगस्त क्रांति मैदान के नाम से जाना जाता है।
  • भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान स्वतंत्रता आंदोलन की 'ग्रैंड ओल्ड लेडी' या अरुणा आसफ अली ने मुंबई के गोवालिया टैंक मैदान में भारतीय ध्वज फहराया था।
  • भारत छोड़ो का नारा यूसुफ मेहरली ने गढ़ा था, जिन्होंने पहले “साइमन गो बैक” का नारा गढ़ा था।
  • आंदोलन के कारण
    • क्रिप्स मिशन की विफलता।
    • भारतीय नेताओं से परामर्श किये बिना द्वितीय विश्व युद्ध में अंग्रेज़ों द्वारा भारतीयों की भागीदारी की घोषणा।
    • पूर्ण स्वतंत्रता की मांग लोकप्रिय हो गई थी।
    • कई छोटे-छोटे आंदोलनों ने आंदोलन के लिये ज़मीन तैयार की।
    • द्वितीय विश्व युद्ध के कारण अर्थव्यवस्था चरमरा गई और लोगों को आवश्यक वस्तुओं की कमी का सामना करना पड़ा।
  • आंदोलन की मांगें
    • भारत में ब्रिटिश शासन को तत्काल प्रभाव से समाप्त करना।
    • अंग्रेज़ों के चले जाने के बाद एक अनंतिम सरकार का गठन करना।
  • आंदोलन के चरण
    • प्रथम चरण: हड़ताल, बहिष्कार और धरना-प्रदर्शन के साथ शहरी विद्रोहों को जल्दी ही दबा दिया गया। गांधी तथा अन्य नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया तथा मज़दूरों ने फैक्ट्री का कार्य रोककर आंदोलन का समर्थन किया।
    • द्वितीय चरण: ग्रामीण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिसके कारण बड़े किसान विद्रोह हुए, संचार प्रणालियों को नष्ट किया गया और सरकारी भवनों पर हमले हुए।
    • तीसरा चरण: बलिया, तामलुक और सतारा जैसे अलग-अलग क्षेत्रों में राष्ट्रीय या समानांतर सरकारें स्थापित की गईं।
  • आंदोलन का परिणाम
    • सफलता
    • राम मनोहर लोहिया, जे.पी. नारायण, अरुणा आसफ अली, बीजू पटनायक, सुचेता कृपलानी आदि जैसे भावी नेताओं का उदय।
    • महिलाओं की भागीदारी
    • राष्ट्रवाद का उदय
    • स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त किया
    • विफलता
    • क्रूरतापूर्वक दमन किया गया।
    • मुस्लिम लीग, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और हिंदू महासभा द्वारा आंदोलन का समर्थन न किये जाने के कारण समर्थन की कमी।
    • सी राजगोपालाचारी जैसे कई कॉन्ग्रेस सदस्यों ने प्रांतीय विधानमंडल से त्याग-पत्र दे दिया क्योंकि वे महात्मा गांधी के विचार के पक्ष में नहीं थे।

मोहनदास करमचंद 

  • जन्म: 2 अक्तूबर, 1869
  • मृत्यु: 30 जनवरी, 
  • भारत के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
    • छोटे स्तर के आंदोलन जैसे चंपारण सत्याग्रह (वर्ष 1917)
    • सविनय अवज्ञा आंदोलन
    • अहमदाबाद मिल हड़ताल (वर्ष 1918)- पहली भूख हड़ताल
    • खेड़ा सत्याग्रह (वर्ष 1918)- पहला असहयोग
  • राष्ट्रव्यापी जन आंदोलन
    • अगेंस्ट रौलट एक्ट (वर्ष 1919)
    • असहयोग आंदोलन (वर्ष 1920-22)
    • सविनय अवज्ञा आंदोलन (वर्ष 1930-34)
    • भारत छोड़ो आंदोलन (वर्ष 1942
  • गांधी-इरविन समझौता (वर्ष 1931): गांधी और लॉर्ड इरविन के बीच सविनय अवज्ञा का दौर था।
  • पूना समझौता (वर्ष 1932): गांधीजी और बी.आर. अंबेडकर के बीच; इसने दलित वर्गों के लिये पृथक निर्वाचिका (सांप्रदायिक पुरस्कार) के विचार को त्याग दिया

अरुणा आसफ अली

  • जन्म: 16 जुलाई,1909 कालका पंजाब (अब हरियाणा राज्य का एक हिस्सा)
  • मृत्यु: 29 जुलाई, 1996
  • भारत के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
  • नमक सत्याग्रह
  • भारत छोड़ो आंदोलन में योगदान
  • भूमिगत आंदोलन के सक्रिय सदस्य

यूसुफ मेहरअली

  • जन्म: 23 सितंबर, 1903
  • मृत्यु: 2 जुलाई, 
  • भारत के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
  • फरवरी 1928 में साइमन कमीशन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन।
  • 9 अगस्त, 1942 को गांधी और अन्य लोगों के साथ वरिष्ठ नेताओं में से एक को गिरफ्तार कर लिया गया।
  • “भारत छोड़ो” और “साइमन वापस जाओ” जैसे नारे दिये गए।