सार्वजनिक क्षेत्र की कोयला कम्पनियाँ सतत् विकास के लिये ESG मानकों को अपना रही हैं

पर्यावरण और पारिस्थितिकी


 28-Nov-2024

चर्चा में क्यों?  

कोयला मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (PSU), जिनमें कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) भी शामिल है, स्थिरता और सामाजिक ज़िम्मेदारी को बढ़ावा देने के लिये वैश्विक पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ESG) मानकों के साथ तालमेल स्थापित कर रहे हैं। यह परिवर्तन व्यावसायिक उत्तरदायित्व और स्थिरता रिपोर्ट (BRSR) प्रकाशित करने और पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभावों को कम करने के लिये आधुनिक प्रथाओं को लागू करने जैसी पहलों के माध्यम द्वारा स्पष्ट है।  

ESG मानक क्या हैं?  

  • ESG का तात्पर्य है पर्यावरण, सामाजिक और शासन।  
  • ये मानकों का समूह है जिसका उपयोग किसी कंपनी के परिचालन तथा उसकी स्थिरता और सामाजिक ज़िम्मेदारी के प्रति प्रतिबद्धता का मूल्यांकन करने के लिये किया जाता है।  
  • ये मानक व्यवसायों के लिये विश्वास प्राप्त करने, निवेशकों को आकर्षित करने और ज़िम्मेदारी से संचालन करने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।  
  • पर्यावरण मानक (E): यह कंपनी के पर्यावरणीय प्रभाव को न्यूनतम करने और स्थिरता संबंधी मुद्दों को संबोधित करने के प्रयासों पर केंद्रित है, जिसमें शामिल हैं:  
    • कार्बन उत्सर्जन में कमी: स्वच्छ प्रौद्योगिकियों और नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करना।  
    • अपशिष्ट प्रबंधन: औद्योगिक एवं खतरनाक अपशिष्ट का उचित निपटान एवं पुनर्चक्रण।  
    • ऊर्जा दक्षता: ऊर्जा-बचत प्रथाओं और प्रौद्योगिकियों को अपनाना।  
    • प्रदूषण नियंत्रण: वायु, जल और मृदा प्रदूषण को न्यूनतम करना।  
    • जैव विविधता संरक्षण: पुनर्वनीकरण और संरक्षण कार्यक्रम।  
  • सामाजिक मानक (S): कर्मचारियों, समुदायों और ग्राहकों के साथ कंपनी के संबंधों पर ध्यान केंद्रित करता है, जिसमें शामिल हैं:  
    • निष्पक्ष श्रम प्रथाएँ: समान अवसर, उचित वेतन और स्वस्थ कार्य वातावरण प्रदान करना।  
    • सामुदायिक सहभागिता: शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और बुनियादी ढाँचे के विकास जैसी पहलों के माध्यम से स्थानीय समुदायों को समर्थन देना।  
    • स्वास्थ्य एवं सुरक्षा: सुरक्षित कार्य परिस्थितियाँ सुनिश्चित करना तथा कार्यबल की भलाई को बढ़ावा देना।  
    • विविधता और समावेशन: कार्यबल में समान प्रतिनिधित्व पर ज़ोर देना।  
  • शासन मानक (G): यह इस बात पर केंद्रित है कि एक कंपनी स्वयं को कैसे संचालित करती है, नैतिक प्रथाओं और जवाबदेही को सुनिश्चित करती है, जिसमें शामिल हैं:  
    • पारदर्शिता: वित्तीय और गैर-वित्तीय जानकारी का नियमित प्रकटीकरण।  
    • नैतिक आचरण: कानूनों का अनुपालन सुनिश्चित करना और भ्रष्टाचार विरोधी नीतियों को अपनाना।  
    • जवाबदेही: नेतृत्व निरीक्षण और हितधारक सहभागिता के माध्यम से सशक्त कॉर्पोरेट प्रशासन।  
    • जोखिम प्रबंधन: परिचालन, वित्तीय और प्रतिष्ठा संबंधी जोखिमों की पहचान करना और उनका समाधान करना।  

ESG  मानक और कोयला उद्योग:  

  • कोयला कंपनियाँ पर्यावरण अनुकूल प्रौद्योगिकियों और प्रथाओं को एकीकृत कर रही हैं:  
    • कार्बन उत्सर्जन कम करें और स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकी अपनाना।  
    • वनरोपण लागू करना और हरित आवरण का विस्तार करना।  
    • विस्फोट-मुक्त खनन प्रौद्योगिकियों का उपयोग करें और उत्सर्जन का कुशलतापूर्वक प्रबंधन करना।  
    • इको-पार्क विकसित करना और निकटवर्ती समुदायों को उपचारित खदान जल की आपूर्ति करना।  
    • नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देना तथा ई-वाहनों एवं अन्य पहलों के माध्यम से ऊर्जा दक्षता में सुधार करना।  
  • सामाजिक उत्तरदायित्व: कोयला कंपनियाँ निम्नलिखित पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं:  
    • निष्पक्ष श्रम प्रथाएँ, स्वास्थ्य और सुरक्षा उपाय तथा सामुदायिक सहभागिता।  
    • कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) पहल, जिसमें स्थानीय समुदायों और कार्यबल कल्याण में योगदान शामिल है।  
  • शासन और जवाबदेही    
    • पारदर्शी परिचालन, नैतिक प्रथाएँ और प्रभावी जोखिम प्रबंधन।  
    • व्यवसाय उत्तरदायित्व और स्थिरता रिपोर्ट (BRSR) के माध्यम से ESG  प्रदर्शन का प्रकटीकरण।  
    • ग्लोबल रिपोर्टिंग इनिशिएटिव (GRI) और सस्टेनेबिलिटी अकाउंटिंग स्टैंडर्ड्स बोर्ड (SASB) जैसे वैश्विक मानकों के साथ संरेखण।  
  • कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) द्वारा की गई पहल का उदाहरण