प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना: भारत के शिल्पकारों को सशक्त एवं सम्मानित करना
विविध
05-Nov-2024
चर्चा में क्यों?
सितंबर 2023 में शुरू की गई सरकार की पहल PM विश्वकर्मा योजना पूरे भारत में पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को सशक्त बना रही है। इस योजना का उद्देश्य विभिन्न शिल्पों में कुशल व्यक्तियों का समर्थन करके भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना है।
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना
- यह एक केन्द्र द्वारा वित्तपोषित कार्यक्रम है, जिसका लक्ष्य लोहारी, मिट्टी के बर्तन, बढ़ईगीरी और मूर्तिकला जैसे पारंपरिक शिल्पों में लगे कारीगरों या "विश्वकर्मा" पर है।
- प्रायः पीढ़ियों से चली आ रही ये कुशलताएँ भारत की सांस्कृतिक पहचान के लिये महत्त्वपूर्ण हैं। इस योजना का उद्देश्य है:
- कारीगरों के उत्पादों की गुणवत्ता और बाज़ार पहुँच को बढ़ाना।
- कारीगरों को घरेलू और वैश्विक मूल्य शृंखलाओं में एकीकृत करना।
- प्रस्तावित लाभ
- लॉन्च के बाद से ( 4 नवंबर 2024 तक ) 25.8 मिलियन से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं।
- 2.37 मिलियन कारीगरों ने सफलतापूर्वक पंजीकरण कराया।
- लगभग 10 लाख कारीगरों को आधुनिक उपकरण खरीदने के लिये टूलकिट प्रोत्साहन (15,000 रुपए तक) प्राप्त हुए।
- टूलींग तक उन्नत पहुँच से दक्षता और उत्पादकता में सुधार होता है।
- उद्योग-तैयार कार्यबल कारीगरों को प्रासंगिक कौशल से सुसज्जित करता है।
- प्रक्रिया और उत्पाद विकास पारंपरिक शिल्प की प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ाता है।
- परामर्श और जॉब वर्क सेवाएँ विभिन्न उद्योगों को अनुरूप सहायता प्रदान करती हैं।
- पात्रता
- औद्योगिक इकाइयाँ: मुख्य रूप से MSME क्षेत्र पर लक्षित।
- प्रशिक्षण कार्यक्रम: विभिन्न शैक्षिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों (स्कूल छोड़ने वालों से लेकर M.Tech डिग्री धारकों तक) के लिये खुला है।
- 25 पारंपरिक व्यापार शामिल : यह योजना विभिन्न प्रकार के पारंपरिक शिल्पों में संलग्न कारीगरों को सहायता प्रदान करती है।