पेंशनभोगी दिवस
विविध
17-Dec-2024
चर्चा में क्यों?
पेंशनर्स दिवस 17 दिसंबर को डी.एस. नाकारा के सम्मान में मनाया जाता है, जिन्होंने सेवानिवृत्त कर्मचारियों के पेंशन अधिकारों के लिये संघर्ष किया था।
पेंशन प्रणाली का इतिहास
- भारतीय पेंशन प्रणाली की शुरुआत 1881 में रॉयल कमीशन ऑन सिविल एस्टेब्लिशमेंट्स के साथ हुई थी।
- 1972 में, केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियमों ने यह सुनिश्चित किया कि 33 वर्षों की सेवा के बाद कर्मचारियों को उनके अंतिम वेतन का 50% पेंशन लाभ के रूप में प्राप्त होगा।
सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय
- डी.एस. नाकारा के 1982 के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक निर्णय सुनाया, जिसमें सेवानिवृत्ति की तिथि के आधार पर पेंशन भेदभाव को अनुचित बताया गया। इस निर्णय ने सभी सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों को पेंशन लाभ प्रदान किया।
पेंशन प्रणाली विकास
- वर्ष 2004 में NDA सरकार ने भागीदारी पेंशन योजना शुरू की।
- पेंशन योजनाओं को विनियमित करने के लिये 2013 में पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA) का गठन किया गया था।
- अगस्त 2024 में पेंशन प्रक्रिया को सुचारू बनाने के लिये एकीकृत पेंशन योजना (UPS) को मंज़ूरी दी गई।
पेंशन योजनाओं की मुख्य विशेषताएँ
- कर दक्षता: NPS और APY जैसी योजनाएँ धारा 80C और 80CCD के तहत कर लाभ प्रदान करती हैं।
- तरलता: कुछ योजनाएँ शीघ्र निकासी की अनुमति देती हैं।
- पेंशन भुगतान सामान्यतः 45-50 वर्ष की आयु से शुरू होता है।
- संचय अवधि: योगदान आवधिक रूप से या एकमुश्त रूप में किया जा सकता है।
- भुगतान अवधि: वह अवधि जिसके दौरान पेंशन प्राप्त की जाती है।
- समर्पण मूल्य: यदि किसी योजना को परिपक्वता से पहले समर्पित कर दिया जाता है, तो लाभ ज़ब्त कर लिये जाते हैं।
निष्कर्ष
पेंशनर्स दिवस पेंशन अधिकारों की सुरक्षा में हुई उपलब्धियों और भारत में पेंशन प्रणालियों के सामने उपस्थित समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करता है।