संसदीय समितियाँ
सामान्य ज्ञान
09-Sep-2024
- यह सांसदों का एक पैनल है जिसे सदन द्वारा नियुक्त या निर्वाचित किया जाता है अथवा अध्यक्ष/सभापति द्वारा नामित किया जाता है।
- समिति अध्यक्ष/सभापति के निर्देशन में कार्य करती है और अपनी रिपोर्ट सदन या अध्यक्ष/सभापति को प्रस्तुत करती है।
- संसदीय समितियों की उत्पत्ति ब्रिटिश संसद से हुई है।
- वे अपना प्राधिकार अनुच्छेद 105 और अनुच्छेद 118 से प्राप्त करते हैं।
- अनुच्छेद 105 सांसदों के विशेषाधिकारों से संबंधित है
- अनुच्छेद 118 संसद को अपनी प्रक्रिया और कार्य के संचालन को विनियमित करने हेतु नियम बनाने का अधिकार देता है।
- संसदीय समितियाँ दो प्रकार की होती हैं- स्थायी समितियाँ और तदर्थ समितियाँ।
- स्थायी समितियाँ स्थायी होती हैं (प्रत्येक वर्ष या समय-समय पर गठित) और निरंतर कार्य करती हैं तथा इन्हें निम्नलिखित छह श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है।
- वित्तीय समितियाँ
- विभागीय स्थायी समितियाँ
- जाँच करने वाली समितियाँ
- जाँच और नियंत्रण करने वाली समितियाँ
- सदन के दिन-प्रतिदिन के कार्यों से संबंधित समितियाँ
- हाउस-कीपिंग समितियाँ या सेवा समितियाँ
- स्थायी समितियाँ स्थायी होती हैं (प्रत्येक वर्ष या समय-समय पर गठित) और निरंतर कार्य करती हैं तथा इन्हें निम्नलिखित छह श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है।
- तदर्थ समितियाँ अस्थायी होती हैं तथा उन्हें निर्दिष्ट किये गए कार्य के पूर्ण हो जाने पर उनका अस्तित्व समाप्त हो जाता है।
- इन्हें आगे जाँच समितियों और सलाहकार समितियों में विभाजित किया गया है।
- प्रमुख तदर्थ समितियाँ विधेयकों पर चयन और संयुक्त समितियाँ हैं।
- महत्त्व
- विधायी विशेषज्ञता प्रदान करता है
- मिनी संसद के रूप में कार्य करता है
- विस्तृत जाँच के लिये साधन
- सरकार पर नियंत्रण प्रदान करता है