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 06-Feb-2025

ओज़ोन परत

सामान्य ज्ञान
  • परिचय 
    • ओज़ोन परत को ओज़ोनोस्फीयर या ओज़ोन शील्ड के नाम से भी जाना जाता है।  
    • यह पृथ्वी के समताप मंडल का एक क्षेत्र है जो सूर्य की अधिकांश पराबैंगनी विकिरण को अवशोषित करता है। 
    • वायुमंडल के अन्य भागों की तुलना में इसमें ओज़ोन (O3) की उच्च सांद्रता होती है।  
    • इसकी मोटाई मौसम और भौगोलिक आधार पर बदलती रहती है।  
    • ओज़ोन परत की खोज सर्वप्रथम 1913 में फ्राँसीसी भौतिकशास्त्रियों चार्ल्स फैब्री और हेनरी बुइसन ने की थी।  
    • डॉब्सन मीटर का उपयोग जमीन से स्ट्रेटोस्फेरिक ओज़ोन को मापने के लिये किया जा सकता है।  
    • "डॉब्सन इकाई" ऊपरी सतह पर ओज़ोन की मात्रा का माप है।  
    • संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 16 सितंबर को ओज़ोन परत के संरक्षण के लिये अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित किया गया है।  
  • पराबैंगनी (UV) किरण  
    • UV (Ultra  Violet-पराबैंगनी) किरणें विद्युत चुंबकीय विकिरण हैं जो सूर्य जैसे उच्च तापमान वाली सतहों से उत्पन्न होती हैं।  
    • यह पशुओं और पौधों की कोशिकाओं की आनुवंशिक सामग्री या DNA  को सीधे नुकसान पहुँचाता है और मानव शरीर को रोगों के प्रति अधिक संवेदनशील बनाता है।  
    • ओज़ोन परत सूर्य की मध्यम आवृत्ति वाली पराबैंगनी प्रकाश को अवशोषित कर लेती है, जो अन्यथा सतह के निकट मौजूद जीवन रूपों को नुकसान पहुँचा सकती है। 
  • समताप मंडल में ओज़ोन परत का वितरण 
    • यह पृथ्वी के वायुमंडल की दूसरी प्रमुख परत है, जो क्षोभमंडल के ठीक ऊपर और मध्यमंडल के नीचे स्थित है।  
    • ओज़ोन परत की मोटाई विश्वभर में अलग-अलग है और आमतौर पर भूमध्य रेखा के पास यह पतली और ध्रुवों के पास मोटी होती है।  
    • इन विविधताओं का कारण वायुमंडलीय परिसंचरण पैटर्न और सौर तीव्रता है।  
    • ओज़ोन का अधिकांश भाग उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में उत्पन्न होता है तथा समतापमंडलीय वायु पैटर्न द्वारा ध्रुवों की ओर ले जाया जाता है।  
    • उत्तरी गोलार्द्ध में इन पैटर्न को 'ब्रूअर-डॉब्सन परिसंचरण (Brewer-Dobson circulation)' के नाम से जाना जाता है, जो वसंत के दौरान ओज़ोन परत को सबसे मोटा और पतझड़ के दौरान सबसे पतला बनाता है।  
    • ओज़ोन का निर्माण सौर UV विकिरण द्वारा उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में ओज़ोन-रहित वायु को क्षोभमंडल से बाहर उठाकर समतापमंडल में ले जाने से होता है, जहाँ सूर्य ऑक्सीजन अणुओं का प्रकाश-अपघटन करता है और उन्हें ओज़ोन में बदल देता है।  
    • फिर, ओज़ोन युक्त हवा उच्च अक्षांशों तक ले जाई जाती है और वायुमंडल की निचली परतों में गिरा दी जाती है।  
    • मार्च-अप्रैल के महीने में आर्कटिक में ओज़ोन की सबसे अधिक मात्रा पाई जाती है।  
    • अंटार्कटिका में ओज़ोन की मात्रा सितंबर-अक्तूबर के महीनों में सबसे कम होती है। 
  • ओज़ोन रिक्तीकरण  
    • ओज़ोन परत क्षरण, ऊपरी वायुमंडल में पृथ्वी की ओज़ोन परत का धीरे-धीरे पतला होना है।  
    • यह उद्योगों या अन्य मानवीय गतिविधियों से गैसीय ब्रोमीन या क्लोरीन युक्त रासायनिक यौगिकों के निकलने के कारण होता है।  
    • यह पतलापन ध्रुवीय क्षेत्रों में, विशेषकर अंटार्कटिका में सर्वाधिक स्पष्ट है।  
    • कई शोधों से पता चला है कि ओज़ोन परत का क्षरण मुख्य रूप से उद्योगों द्वारा उत्सर्जित क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC) के कारण हो रहा है। 
  • ओज़ोन परत को नुकसान पहुँचाने वाले रसायन  
    • क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC): रेफ्रिजरेटर और एयर कंडीशनर में उपयोग किया जाता है। हैलोन: अग्निशामक यंत्रों में उपयोग किया जाता है। 
    • कार्बन टेट्राक्लोराइड (CCl4): अग्निशामक यंत्र, शीतलक और सफाई एजेंट के रूप में उपयोग किया जाता है।  
    • मिथाइल क्लोरोफॉर्म (CH3CCl3): कार्बनिक यौगिकों के लिये विलायक; धातु भागों और सर्किट बोर्डों की सफाई के लिये उपयोग किया जाता है।  
    • मिथाइल ब्रोमाइड (CH3Br): धूम्रक के रूप में उपयोग किया जाता है। धूम्रकरण, कीटों को जहर देकर दम घोंटने की एक विधि है।  
    • हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन (HCFC): CFC के विकल्प के रूप में उपयोग किया जाता है। ये CFC की तुलना में ओज़ोन परत को कम नुकसान पहुँचाते हैं। 

 अंतर्राष्ट्रीय संधियाँ और सहयोग  

  • ओज़ोन परत के संरक्षण के लिये वियना कन्वेंशन  
    • इस अभिसमय पर 1985 में हस्ताक्षर किये गये थे।  
    • इसने ओज़ोन क्षरण पर वैश्विक निगरानी और रिपोर्टिंग स्थापित की।  
    • इसने अधिक बाध्यकारी कार्रवाई करने के लिये प्रोटोकॉल के विकास हेतु एक रूपरेखा भी तैयार की। 
  • ओज़ोन परत को नष्ट करने वाले पदार्थों पर मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल  
    • वियना कन्वेंशन के अंतर्गत मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल (प्रोटोकॉल) पर 1987 में सहमति हुई थी।  
    • यह ओज़ोन की वायुमंडलीय सांद्रता में तेज़ी से हो रही गिरावट को रोकने में वैश्विक सहयोग को सुगम बनाता है।  
    • प्रोटोकॉल के तहत देशों ने ओज़ोन परत को नुकसान पहुँचाने वाले कुछ रसायनों के उत्पादन और उपभोग को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने पर सहमति व्यक्त की। 
      • वियना कन्वेंशन और इसका मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल, 197 पक्षों के साथ सार्वभौमिक अनुसमर्थन प्राप्त करने वाली पहली और एकमात्र वैश्विक पर्यावरण संधियाँ हैं।  
      • अंतर्राष्ट्रीय समझौते के परिणामस्वरूप अंटार्कटिका में ओज़ोन छिद्र धीरे-धीरे ठीक हो रहा है।  
  • मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल में किगाली संशोधन 
    • किगाली रवांडा की राजधानी है। किगाली संशोधन 1 जनवरी, 2019 से लागू हुआ।  
    • इस प्रोटोकॉल के तहत, देशों से अपेक्षा की जाती है कि वे 2045 तक अपने-अपने आधार रेखाओं से HFC के निर्माण और उपयोग को लगभग 80-85% तक कम कर देंगे।  
    • यह हस्ताक्षरकर्त्ता पक्षों के बीच गैर-अनुपालन उपायों के साथ कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौता है। 

गुड और बैड ओज़ोन 

  • गुड ओज़ोन समतापमंडल में है।  
  • गुड ओज़ोन पृथ्वी पर जीवन को सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी विकिरण से रक्षा करता है।  
  • बैड ओज़ोन सीधे वायु में उत्सर्जित नहीं होती बल्कि सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में नाइट्रोजन के ऑक्साइड (NOx) और वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (VOC) के बीच रासायनिक अभिक्रियाओं से बनती है।  
  • औद्योगिक सुविधाओं और विद्युत उपयोगिताओं, मोटर वाहन निकास, गैसोलीन वाष्प और रासायनिक सॉल्वैंट्स से उत्सर्जन NOx और VOC के कुछ प्रमुख स्रोत हैं।  
  • बैड ओज़ोन ज़मीनी स्तर का प्रदूषक है।  
  • बैड ओज़ोन साँस लेने के लिये हानिकारक है, फसलों, वृक्षों और अन्य वनस्पतियों को नुकसान पहुँचाती है।