निसार-मिशन (NASA-इसरो-सार)

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी


 05-Dec-2024

परिचय 

  • यह रडार का उपयोग करके पृथ्वी का अवलोकन करने के लिये NASA और ISRO के बीच एक सहयोग है। 
  • प्रयुक्त रडार बैंड: 
    • L-बैंड (NASA): मृदा और वनस्पति के अवलोकन में उपयोगी, भूमि अवतलन, वनों की कटाई और मृदा की नमी की निगरानी के लिये आदर्श है। 
    • S-बैंड (ISRO): भूकंप, ज्वालामुखी और हिमनद जैसी स्थानीय सतही हलचलों के अवलोकन के लिये उपयोगी। 
  • तकनीकी: 
    • यह उच्च-रिज़ॉल्यूशन इमेजिंग के लिये सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR) का उपयोग करता है। 
    • यह दिन हो या रात, सभी मौसमों में काम करता है (यह बादलों और अंधेरे में प्रवेश कर सकता है)। 
  • इमेजिंग क्षमता: 
    • कम समय में बड़े क्षेत्र को कवर करते हुए 150 मील (240 किमी) के क्षेत्र की इमेजिंग। 
    • प्रत्येक 12 दिन में संपूर्ण पृथ्वी का मानचित्रण करने में सक्षम। 
  • प्रमुख अनुप्रयोग: 
    • हिमनद संचलन, भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट, कृषि भूमि में परिवर्तन और खतरे वाले क्षेत्रों पर नज़र रखना। 
    • दीर्घकालिक पर्यावरणीय परिवर्तनों और संकटों के प्रति आपातकालीन प्रतिक्रिया पर नज़र रखना। 
  • परिचालन अवधि: 
    • 3 वर्षों का वैश्विक परिचालन (NASA, L-बैंड) 
    • विशिष्ट क्षेत्रों (ISRO, S-बैंड) पर 5 वर्षों का परिचालन अनुभव। 
  • डेटा उपलब्धता: 
    • NASA की खुली डेटा नीति के अनुरूप, सभी डेटा जनता के लिये खुले और स्वतंत्र रूप से उपलब्ध होंगे। 
    • अलास्का सैटेलाइट फैसिलिटी DAAC द्वारा होस्ट किया गया डेटा। 
  • लॉन्च विवरण: 
    • सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा, भारत से 2024 के लिये योजना बनाई गई है। 
    • निकट-ध्रुवीय कक्षा में कार्य करेगा। 
  • दीर्घकालिक लाभ: 
    • संसाधन प्रबंधन, आपदा प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन शमन में सहायता करता है।