नये सामूहिक परिमाणित लक्ष्य

पर्यावरण और पारिस्थितिकी


    No Tags Found!
 25-Nov-2024

चर्चा में क्यों? 

बाकू में आयोजित COP29 में विकसित और विकासशील देश जलवायु के मुख्य मुद्दों पर विभाजित रहे। जलवायु वित्त और न्यूनीकरण कार्य कार्यक्रम (MWP) पर नए सामूहिक परिमाणित लक्ष्य (NCQG) के मसौदों ने असहमति को जन्म दिया है। विकासशील देशों ने अस्पष्ट वित्तीय प्रतिबद्धताओं के लिये NCQG की आलोचना की, जबकि विकसित देशों ने MWP को 1.5°C लक्ष्य को पूरा करने के लिये अपर्याप्त माना। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने प्रतिनिधियों से मतभेदों को दूर करने का आग्रह किया और एक महत्त्वाकांक्षी जलवायु वित्त समझौते की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। 

 नए सामूहिक परिमाणित लक्ष्य (NCQG):

  • यह एक वित्तीय लक्ष्य है जिसका उद्देश्य विकासशील देशों में जलवायु कार्रवाई परियोजनाओं के समर्थन हेतु प्रतिवर्ष धन जुटाना है। 
  • वर्ष 2009 में कोपेनहेगन में COP15 के दौरान विकसित देशों ने जलवायु प्रयासों में सहायता के लिये 2020 तक प्रतिवर्ष 100 बिलियन डॉलर उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता व्यक्त की थी। 
  • जबकि आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (OECD) ने दावा किया है कि यह लक्ष्य वर्ष 2022 तक प्राप्त कर लिया जाएगा, कई लोगों ने इस दावे का विरोध किया है। 
  • वर्ष 2015 में पेरिस में आयोजित COP21 में , जहाँ पेरिस समझौते को अपनाया गया था, राष्ट्रों ने वर्ष 2024 तक एक नया, उच्च वित्तीय लक्ष्य स्थापित करने पर सहमति व्यक्त की, जिसे NCQG कहा जाता है। 
  •  यह अद्यतन लक्ष्य 100 बिलियन डॉलर के लक्ष्य का स्थान लेगा तथा इसे अज़रबैजान में चल रहे COP29 में अंतिम रूप दिये जाने की संभावना है। 

NCQG '100 बिलियन डॉलर' के लक्ष्य से किस प्रकार भिन्न है?  

  • वित्त की मात्रा के अलावा, NCQG जिस तरह से निर्धारित किया जाएगा, वह पिछले 100 बिलियन डॉलर के लक्ष्य से भिन्न होगा। 
  • पहले का 100 बिलियन डॉलर का लक्ष्य कम्पनियों की आवश्यकताओं का आकलन करने के बाद तय नहीं किया गया था, बल्कि यह एक राजनीतिक प्रतिबद्धता थी, जिसका मुख्य उद्देश्य यह मान्यता देना था कि विकसित देशों की यह ज़िम्मेदारी है कि वे विकासशील देशों को वित्तीय सहायता प्रदान करें। हालाँकि, इस बात पर पहले ही सहमति हो चुकी है कि NCQG लक्ष्य का निर्धारण विकासशील देशों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर किया जाएग

पेरिस एग्रीमेंट:

  • यह जलवायु परिवर्तन पर विधिक रूप से बाध्यकारी अंतर्राष्ट्रीय संधि है।
  • COP21 (पेरिस, 12 दिसंबर, 2015) में 196 दलों द्वारा अपनाया गया । 
  • स्थापना: 4 नवंबर , 2016 को। 
  • उद्देश्य: वैश्विक तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तर से 2°C से नीचे सीमित रखना तथा इसे 1.5°C तक सीमित रखने के प्रयास करना।
  • राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC)
    • देश ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और जलवायु परिवर्तन के अनुकूल होने के लिये योजनाएँ (NDC) प्रस्तुत करते हैं। 
    • NDC को समय के साथ और अधिक महत्त्वाकांक्षी बनना चाहिये तथा वर्ष 2030 के लक्ष्यों की समीक्षा 2023 तक की जानी चाहिये ताकि उन्हें 1.5°C लक्ष्य के साथ संरेखित किया जा सके। 
  • दीर्घकालिक निम्न उत्सर्जन रणनीतियाँ (LT-LEDS): देशों को दीर्घकालिक दृष्टिकोण प्रदान करने वाली LT-LEDS प्रस्तुत करने और NDC को राष्ट्रीय विकास प्राथमिकताओं के साथ संरेखित करने के लिये प्रोत्साहित किया जाता है।
  • वित्तीय सहायता
    • विकसित देशों से जलवायु शमन और अनुकूलन के लिये वित्तीय सहायता प्रदान करने में अग्रणी रहने की उम्मीद है, जिसका लक्ष्य प्रतिवर्ष 100 बिलियन डॉलर (वर्ष 2020 तक) था।
    • उत्सर्जन को कम करने और जलवायु प्रभावों से निपटने के लिये वित्तीय संसाधन आवश्यक हैं, विशेष रूप से विकासशील देशों के लिये। 
  • प्रौद्योगिकी हस्तांतरण: पेरिस समझौता उत्सर्जन को कम करने और जलवायु लचीलापन बनाने के लिये प्रौद्योगिकी विकास एवं हस्तांतरण को बढ़ावा देता है। 
  • विकासशील देशों के लिये क्षमता निर्माण: विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में सहायता करने के लिए क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना। 
  • उन्नत पारदर्शिता ढाँचा (ETF)
    • देश 2024 से जलवायु संबंधी कार्यों पर रिपोर्ट देना शुरू करेंगे। रिपोर्टों की समीक्षा की जाएगी, प्रगति का आकलन करने और अधिक महत्त्वाकांक्षी कार्यों के लिये सिफारिशें करने हेतु वैश्विक समीक्षा में उनका योगदान दिया जाएगा।