चुनाव आयुक्तों की नई नियुक्ति प्रक्रिया
भारतीय राजनीति
16-Jan-2025
चर्चा में क्यों?
मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और पदावधि) अधिनियम, 2023, पारंपरिक वरिष्ठता-आधारित दृष्टिकोण से आगे बढ़कर नई व्यवस्थाएँ प्रस्तुत करता है तथा पहली बार मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों के चयन के दायरे को व्यापक बनाता है।
मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिये नया कानून
पृष्ठभूमि
- संविधान का अनुच्छेद 324 राष्ट्रपति को संसदीय कानून के आधार पर मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और चुनाव आयुक्तों (EC) की नियुक्ति करने की अनुमति देता है, लेकिन वर्ष 2023 तक ऐसा कोई कानून अस्तित्व में नहीं था।
- पहले नियुक्तियाँ प्रधानमंत्री की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती थीं।
- वर्ष 2023 में, सर्वोच्च न्यायालय (अनूप बरनवाल बनाम भारत संघ मामला) ने प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश की सदस्यता वाली एक समिति को निर्देश दिया कि वह कानून बनने तक स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिये नियुक्तियों की सिफारिश करे।
अधिनियम के प्रमुख प्रावधान
- पात्रता: केवल वर्तमान या पूर्व सचिव स्तर के अधिकारी ही पात्र हैं।
- विस्तारित चयन पूल: वरिष्ठता की परंपरा को तोड़ते हुए अब मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति चुनाव आयोग के बाहर से भी की जा सकेगी।
- खोज समिति: अधिनियम की धारा 6 में विधि एवं न्याय मंत्री तथा दो वरिष्ठ अधिकारियों के नेतृत्व में एक खोज समिति की स्थापना की गई है, जिसका कार्य पाँच उम्मीदवारों का पैनल तैयार करना है। इन अनुशंसाओं को अंतिम निर्णय लेने के लिये चयन समिति को भेजा जाता है।
- चयन समिति: इसमें प्रधानमंत्री, एक कैबिनेट मंत्री और लोकसभा में विपक्ष के नेता शामिल होते हैं, जिनके पास पैनल से चयन करने या किसी बाहरी उम्मीदवार को नामित करने का अधिकार होता है।