चर्चा में क्यों?
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत की 4,500 साल पुरानी समुद्री विरासत को प्रदर्शित करने के लिये गुजरात के लोथल में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (NMHC) को मंजूरी दे दी है। चरणों में विकसित, इसका उद्देश्य 22,000 नौकरियों का सृजन करना है और इसमें संग्रहालय, दीर्घाएँ, एक लाइटहाउस संग्रहालय और मनोरंजक सुविधाएँ शामिल हैं, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय समुदायों को लाभ होगा। चरण 1A को वर्ष 2025 तक पूरा करने की योजना है।
राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर के बारे में
- विज़न: भारत की 4,500 वर्ष पुरानी समुद्री विरासत को प्रदर्शित करना।
- विकासकर्त्ता: पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय (MoPSW)।
- मास्टरप्लान: प्रसिद्ध वास्तुकला फर्म हफीज़ कॉन्ट्रैक्टर द्वारा निर्मित।
- निर्माण चरण 1A: टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड को सौंपा गया।
- उद्देश्य
- पर्यटन, शिक्षा और स्थानीय सामुदायिक लाभ को बढ़ाना।
- क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण रोज़गार सृजन और आर्थिक विकास।
लोथल के बारे में
- खोज: वर्ष 1953 में भारतीय पुरातत्त्ववेत्ता एस.आर. राव द्वारा।
- स्थान: सिंधु घाटी सभ्यता (IVC) का सबसे दक्षिणी स्थल और एकमात्र ज्ञात बंदरगाह शहर।
- यह खंभात की खाड़ी के निकट साबरमती की सहायक भोगवा नदी के किनारे स्थित है।
- व्युत्पत्ति: "लोथल" नाम गुजराती शब्द "लोथ" (जिसका अर्थ है "मृत") और "थल" (जिसका अर्थ है "टीला") से लिया गया है, जिसका अनुवाद "मृतकों का टीला" है।
- व्यापार: लोथल मोतियों, रत्नों और आभूषणों के लिये एक व्यस्त व्यापार केंद्र के रूप में कार्य करता था, जहाँ से पश्चिम एशिया और अफ्रीका को माल निर्यात किया जाता था। वहाँ के गोदीबाड़ा ने मेसोपोटामिया और मिस्र जैसे क्षेत्रों के साथ समुद्री व्यापार को सुविधाजनक बनाया।
- प्रमुख उत्खनन
- पहला मानव निर्मित बंदरगाह
- जहाज़ बनाने का स्थान
- चावल की भूसी
- अग्नि वेदिकाएँ
- शतरंज खेलना
- प्रमुख विशेषताएँ
- ज्वारीय गोदीबाड़ा: विश्व का सबसे पुराना ज्ञात कृत्रिम गोदीबाड़ा, जो शहर को साबरमती नदी के प्राचीन मार्ग से जोड़ता है।
- वास्तुकला: यह स्थल दो मुख्य क्षेत्रों में विभाजित है: गढ़ी (ऊपरी शहर) और निचला शहर।
- मुहरें: लोथल में सिंधु घाटी सभ्यता के स्थलों में तीसरी सबसे बड़ी संख्या में मुहरें पाई जाती हैं, जिनमें विभिन्न जानवरों को दर्शाया गया है, जिनमें छोटे सींग वाले बैल, पहाड़ी बकरियाँ, बाघ और हाथी बैल जैसे मिश्रित जीव शामिल हैं।
- मिट्टी के बर्तन: लाल मिट्टी के बर्तनों का उपयोग आमतौर पर रोजमर्रा की गतिविधियों के लिये किया जाता था।
- टेराकोटा कला: इसमें आधुनिक शतरंज के मोहरों जैसे दिखने वाले खिलाड़ी और पहियों और चलने वाले सिर वाले पशुओं की आकृतियाँ शामिल हैं, जिनका इस्तेमाल संभवतः खिलौनों के रूप में किया जाता था।
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