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राष्ट्रीय आपातकाल

भारतीय राजनीति


 23-Jan-2025

अर्थ  

  • अनुच्छेद 352: युद्ध, बाह्य आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह के कारण उत्पन्न आपातस्थिति।  
  • 1978 के 44वें संशोधन अधिनियम द्वारा "आंतरिक अशांति (Internal Disturbance)" के स्थान पर "सशस्त्र विद्रोह (Armed Rebellion)" शब्द प्रतिस्थापित किया गया।  

 घोषणा के आधार  

  • जब भारत या उसके किसी भाग की सुरक्षा को युद्ध, बाह्य आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह से खतरा हो।  

 घोषणा की प्रक्रिया  

  1. इसके लिये मंत्रिमंडल की लिखित अनुशंसा (सहमति) की आवश्यकता है, न कि केवल प्रधानमंत्री की सलाह की।  
  2. मिनर्वा मिल्स केस (1980): राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा को यदि दुर्भावनापूर्ण, असंगत या निरर्थक माना जाए, तो इसे न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है। 

अनुमोदन  

  • इस घोषणा को संसद के दोनों सदनों द्वारा विशेष बहुमत (कुल सदस्यता का बहुमत + उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के कम से कम दो-तिहाई बहुमत) द्वारा इसके जारी होने के एक महीने के भीतर अनुमोदित किया जाना चाहिये।  
  • यदि यह घोषणा उस समय जारी की जाती है जब लोकसभा भंग हो गई हो या एक माह की अवधि के दौरान विघटन हो गया हो, तो यह घोषणा नवगठित लोक सभा की पहली बैठक के 30 दिन बाद तक प्रभावी रहती है, बशर्ते कि राज्य सभा ने इसे पहले ही अनुमोदित कर दिया हो।  

 अवधि  

  • यदि संसद के दोनों सदनों द्वारा विशेष बहुमत से इसे मंज़ूरी दे दी जाती है तो आपातकाल छह महीने तक जारी रहता है ।  
  • इसे हर छह महीने में संसदीय अनुमोदन से अनिश्चित काल तक बढ़ाया जा सकता है।  

 निरसन  

  • राष्ट्रपति किसी भी समय बाद में घोषणा द्वारा इसे रद्द कर सकते हैं , जिसके लिये संसदीय अनुमोदन की आवश्यकता नहीं है।  
  • यदि लोक सभा साधारण बहुमत (उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों का बहुमत) से आपातकाल को जारी रखने की अस्वीकृति का प्रस्ताव पारित कर दे तो आपातकाल को हटाया जाना चाहिये।  

  केंद्र-राज्य संबंध  

  1. कार्यपालिका: केंद्र किसी भी मामले पर राज्य को कार्यकारी निर्देश देने का हकदार हो जाता है।  
  2. विधायी: संसद राज्य सूची में उल्लिखित किसी भी विषय पर कानून बना सकती है। यदि संसद सत्र में नहीं है, तो राष्ट्रपति ऐसे विषयों पर अध्यादेश जारी कर सकते हैं।  
  3. राज्य विधानसभाओं को निलंबित नहीं किया जाता है। हालाँकि, राज्य के विषयों पर संसद द्वारा बनाए गए कानून आपातकाल समाप्त होने के छह महीने बाद तक प्रभावी रहते हैं।  
  4. वित्तीय: राष्ट्रपति केंद्र और राज्यों के बीच राजस्व के संवैधानिक वितरण को संशोधित कर सकते हैं।  

 लोकसभा और राज्य विधानसभा का जीवन  

  • संसद, आपातकाल के दौरान लोक सभा के कार्यकाल को उसके सामान्य कार्यकाल (5 वर्ष) से  एक वर्ष के लिये बढ़ा सकती है।  
  • यही बात राज्य विधान सभाओं पर भी लागू होती है।  
  • आपातकाल समाप्त होने के छह महीने बाद यह विस्तार समाप्त हो जाएगा।  

मौलिक अधिकारों पर प्रभाव  

अनुच्छेद 19  

  • राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान अनुच्छेद 19 के अंतर्गत मौलिक अधिकार स्वतः ही निलंबित हो जाते हैं।  
  • आपातकाल के निरस्त होने के तुरंत बाद अनुच्छेद 19 के तहत मौलिक अधिकार बहाल हो जाते हैं।  
  • आपातकाल के दौरान अनुच्छेद 19 से असंगत कानूनों को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती।  
  • 44वें संशोधन अधिनियम के अनुसार, अनुच्छेद 19 को केवल तभी निलंबित किया जा सकता है जब युद्ध या सशस्त्र विद्रोह के आधार पर आपातकाल घोषित किया गया हो।  

 अन्य मौलिक अधिकार  

  • अनुच्छेद 359 के तहत , राष्ट्रपति को राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिये किसी भी न्यायालय में जाने के अधिकार को आदेश द्वारा निलंबित करने का अधिकार है।  
  • इस प्रकार, उपचारात्मक उपाय तो स्थगित हो जाते हैं, लेकिन मौलिक अधिकार स्थगित नहीं होते।  
  • प्रवर्तन का निलंबन केवल उन मौलिक अधिकारों से संबंधित है जो राष्ट्रपति के आदेश में निर्दिष्ट हैं।  
  • निलंबन आपातकाल के संचालन के दौरान की अवधि के लिये या इससे कम अवधि के लिये हो सकता है।  
  • 44वें संशोधन अधिनियम में यह प्रावधान है कि राष्ट्रपति अनुच्छेद 20 और 21 द्वारा गारंटीकृत मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिये न्यायालय जाने के अधिकार को निलंबित नहीं कर सकते।