राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020
विविध
10-Sep-2024
- इसका उद्देश्य "भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाना" है।
- यह 34 वर्ष पुरानी राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986 की जगह लेती है, जिसे वर्ष 1992 में संशोधित किया गया था (NPE 1986/92)।
- शिक्षा मंत्रालय ने डॉ. के. कस्तूरीरंगन के नेतृत्व में एक समिति बनाई, जिसने इस नई नीति की रूपरेखा तैयार की।
- 5 आधारभूत स्तंभ: पहुँच (Access), समानता (Equity), गुणवत्ता (Quality), सामर्थ्य (Affordability) और जवाबदेही (Accountability)।
- यह स्वतंत्रता के बाद से भारत में शिक्षा के ढाँचे का केवल तीसरा बड़ा सुधार है।
- यह 21वीं सदी के लक्ष्यों और सतत् विकास लक्ष्य 4 (SDG4) के साथ संरेखित एक व्यापक शिक्षा प्रणाली सुधार का समर्थन करता है।
प्रमुख विशेषताएँ
- सार्वभौमिक पहुँच: NEP 2020 प्री-स्कूल से माध्यमिक स्तर तक स्कूली शिक्षा तक सार्वभौमिक पहुँच पर केंद्रित है।
- प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा: 10+2 संरचना को 5+3+3+4 प्रणाली में परिवर्तित किया जाएगा, जिससे 3-6 वर्ष के बच्चों को स्कूली पाठ्यक्रम के अंतर्गत लाया जाएगा, जिसमें प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (Early Childhood Care and Education- ECCE) पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
- बहुभाषिकता: कक्षा 5 तक मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा ही शिक्षा का माध्यम होगी, साथ ही संस्कृत और अन्य भाषाओं के विकल्प भी उपलब्ध होंगे।
- भारतीय सांकेतिक भाषा (Indian Sign Language- ISL) को मानकीकृत किया जाएगा।
- समावेशी शिक्षा: सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित समूहों (SEDG) पर विशेष ज़ोर, दिव्यांग बच्चों के लिये सहायता तथा "बाल भवन" की स्थापना।
- बाधाओं का उन्मूलन: नीति एक निर्बाध शिक्षा प्रणाली को बढ़ावा देती है जिसमें कला और विज्ञान, पाठ्यक्रम तथा पाठ्येतर गतिविधियों एवं व्यावसायिक व शैक्षणिक धाराओं के बीच कोई कठोर भेद नहीं होता।
- GER वृद्धि: 3.5 करोड़ नई सीटें जोड़कर वर्ष 2035 तक सकल नामांकन अनुपात को 26.3% से बढ़ाकर 50% करने का लक्ष्य।
- रिसर्च फोकस: अनुसंधान संस्कृति और क्षमता को बढ़ावा देने के लिये राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन का निर्माण।
- भाषा संरक्षण: भारतीय भाषाओं के लिये समर्थन, जिसमें अनुवाद एवं व्याख्या संस्थान (IITI) की स्थापना तथा भाषा विभागों को प्रबल बनाना शामिल है।
- अंतर्राष्ट्रीयकरण: अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और शीर्ष क्रम के विदेशी विश्वविद्यालयों के प्रवेश को सुविधाजनक बनाना।
- वित्तपोषण: शिक्षा में सार्वजनिक निवेश को सकल घरेलू उत्पाद के 6% तक बढ़ाने के लिये संयुक्त प्रयास।
- परख (PARAKH) मूल्यांकन केंद्र: राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र के रूप में परख (PARAKH) (समग्र विकास के लिये प्रदर्शन मूल्यांकन, समीक्षा और ज्ञान का विश्लेषण) की स्थापना शिक्षा में योग्यता-आधारित एवं समग्र मूल्यांकन की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
- लिंग समावेशन निधि: शिक्षा में लैंगिक समानता के महत्त्व पर ज़ोर देना और वंचित समूहों को सशक्त बनाने की पहल का समर्थन करना।
- विशेष शिक्षा क्षेत्र: इनकी परिकल्पना वंचित क्षेत्रों और समूहों की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूर्ण करने के लिये की गई है तथा सभी के लिये गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक समान पहुँच हेतु नीति की प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाया गया है।
- प्रमुख पहल
- PM स्कूल्स फॉर राइजिंग इंडिया (SHRI)
- राष्ट्रीय पहल फॉर प्रोफिशिएंसी इन रीडिंग विद अंडरस्टैंडिंग एंड न्यूमेरेसी (NIPUN) भारत मिशन
- PM e-VIDYA
- राष्ट्रीय पाठ्यक्रम ढाँचा फाउंडेशनल स्टेज (NCF FS)
- जादुई पिटारा
- राष्ट्रीय विद्यालय प्रमुखों और शिक्षकों की समग्र उन्नति के लिये पहल (NISHTHA)
- राष्ट्रीय डिजिटल शिक्षा वास्तुकला (NDEAR)
- ज़ांज़ीबार और अबू धाबी में IIT परिसर
- राष्ट्रीय उच्च शिक्षा योग्यता ढाँचा (NHEQF)
- सीखने के स्तर का विश्लेषण करने के लिये संरचित मूल्यांकन (SAFAL)