राष्ट्र लाला लाजपत राय को उनकी 96वीं पुण्यतिथि पर याद कर रहा है

इतिहास


 18-Nov-2024

चर्चा में क्यों? 

पंजाब केसरी के नाम से मशहूर लाला लाजपत राय को उनकी 96 वीं पुण्यतिथि पर राष्ट्र याद कर रहा है । साइमन कमीशन के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन के दौरान ब्रिटिश पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किये जाने के बाद सिर में चोट लगने के कारण उनकी मृत्यु हो गई थी। मोगा में उनके पैतृक गाँव धुडीके में श्रद्धांजलि समारोह आयोजित किया गया, जिसमें पंजाब के कैबिनेट मंत्री हरपाल सिंह चीमा और अन्य लोग शामिल हुए। 

लाला लाजपत राय के बारे में 

  • प्रारंभिक जीवन और शिक्षा 
    • 28 जनवरी 1865 को धुडीके, पंजाब में जन्म। 
    • गवर्नमेंट कॉलेज, लाहौर से विधि की पढ़ाई की। 
    • आर्य समाज से प्रभावित होकर वे सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों में शामिल हुए। 
  • भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका 
    • पंजाब केसरी (पंजाब का शेर) के नाम से प्रसिद्ध। 
    • भारतीय राष्ट्रीय काॅन्ग्रेस (INC) के प्रमुख नेता। 
    • बाल गंगाधर तिलक और बिपिन चंद्र पाल के साथ लाल-बाल-पाल त्रिमूर्ति के सदस्य। 
  • सामाजिक सुधार और वकालत 
    • भारतीय समाज के उत्थान, शिक्षा और जातिगत भेदभाव से लड़ने पर ध्यान केंद्रित किया। 
    • स्वराज और सामाजिक सुधारों को बढ़ावा दिया। 
  • राष्ट्रवादी आंदोलन में नेतृत्व 
    • स्वदेशी आंदोलन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, भारतीय वस्तुओं को बढ़ावा दिया और ब्रिटिश उत्पादों का बहिष्कार किया। 
    • 1905 के बंगाल विभाजन का सक्रिय रूप से विरोध किया, जिसका उद्देश्य भारतीय एकता को विभाजित करना था। 
    • होम रूल आंदोलन का समर्थन किया, ब्रिटिश साम्राज्य के भीतर अधिक स्वायत्तता की वकालत की। 
  • राजनीतिक जीवन 
    • 1917 में अमेरिका में इंडियन होम रूल लीग की स्थापना की। 
    • 1926 में केंद्रीय विधान सभा के उपनेता चुने गये। 
    • 1920 में काॅन्ग्रेस अध्यक्ष के रूप में कार्य किया, जो पार्टी के लिये एक संक्रमण काल था। 
  • विरोध प्रदर्शन और आंदोलन में नेतृत्व 
    • 1928 में साइमन कमीशन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया, ब्रिटिश पुलिस द्वारा लाठीचार्ज में घातक चोटें आईं। 
    • शुरुआत में उन्होंने गांधीजी के असहयोग आंदोलन का विरोध किया, लेकिन बाद में इसका समर्थन किया तथा चौरी-चौरा की घटना के बाद भी इसे जारी रखने की वकालत की। 
  • विरासत और योगदान 
    • वह अपने पत्रकारिता कार्य और लेखन के लिये जाने जाते हैं, जिसने जनता को ब्रिटिश शासन के विरुद्ध संगठित किया। 
    • सामाजिक सुधार और स्वतंत्रता आंदोलन में उनके नेतृत्व और योगदान ने एक प्रमुख राष्ट्रवादी व्यक्ति के रूप में उनकी स्थिति को मज़बूत किया। 
  • मृत्यु और स्मरण 
    • 1928 में ब्रिटिश पुलिस की क्रूरता से लगी चोटों के कारण उनकी मृत्यु हो गई। 
    • भारत के स्वतंत्रता संग्राम के एक शहीद और नायक के रूप में याद किया जाता है।