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सामान्य ज्ञान
नगालैंड
« »05-Sep-2024
राजधानी: कोहिमा
नगालैंड का भूगोल
स्थान
- भारत का राज्य नगालैंड देश के पूर्वोत्तर भाग की पहाड़ियों और पर्वतों में स्थित है।
- नगालैंड की पूर्वी सीमा पर भारत और म्याँमार की अंतर्राष्ट्रीय सीमा है।
- राज्य का दक्षिणी छोर मणिपुर राज्य से घिरा है।
- असम राज्य पश्चिमी और उत्तर-पश्चिमी दिशा में नगालैंड की सीमा से लगा है।
- अरुणाचल प्रदेश राज्य उत्तर में नगालैंड की सीमा से लगा है।
जलवायु
- नगालैंड की स्वास्थ्यप्रद पर्वतीय जलवायु राज्य के नागरिकों और यहाँ आने वाले पर्यटकों के स्वास्थ्य एवं खुशहाली के लिये ज़िम्मेदार है।
- नगालैंड की जलवायु को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारक हैं
- ऊँचाई (The Altitude)
- भौगोलिक निर्देशांक
- समुद्र से दूरी
- हवा की दिशा
- पूर्वोत्तर राज्य नगालैंड के पहाड़ी इलाके ठंडी और सुखद जलवायु परिस्थितियों को आकार देने में सहायक हैं।
- राज्य में ग्रीष्म ऋतु सबसे छोटी ऋतु है तथा इस दौरान तापमान 16 डिग्री सेल्सियस से 31 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है।
- जून, जुलाई, अगस्त और सितंबर के महीनों में यहाँ भारी बारिश होती है। राज्य में औसत वार्षिक वर्षा 2000 मिमी से 2500 मिमी तक दर्ज की जाती है।
- नगालैंड राज्य में सर्दी जल्दी आ जाती है। सर्दियों में तापमान 4 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है।
- शीत ऋतु में अधिकतम औसत तापमान 24 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है।
वनस्पति
- नगालैंड की हरी-भरी वनस्पतियाँ राज्य में प्राकृतिक और कृषि विकास को दर्शाती हैं।
- नगालैंड राज्य की अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर है जो आदिवासी निवासियों का मुख्य व्यवसाय है।
- लोग राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों में सीढ़ीनुमा खेती करते हैं।
- चार नदियों द्वारा बहाए जाने वाले इस क्षेत्र में नदियों के जलोढ़ जमाव से विभिन्न कृषि खाद्य उत्पादों की वृद्धि में सहायता मिलती है।
मृदा
- नगालैंड की मृदा पर किये गए सर्वेक्षण से पता चला है कि मृदा को 10 प्रमुख समूहों, 14 उप-समूहों, 4 आदेशों, 7 उप-आदेशों और 72 मृदा समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है।
- नगालैंड की मृदा नगालैंड की स्थलाकृति और भूगोल का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है।
- मृदा के समूहों और आदेशों में वर्गीकरण ने भूमि उपयोग नियोजन के प्रबंधन में सहायता की है जो कृषि क्षेत्र में प्राथमिक महत्त्व का है।
- नगालैंड में मृदा के व्यवस्थित सर्वेक्षण और वर्गीकरण ने राज्य में व्यापक फसल की खेती की सुविधा प्रदान की है।
- नगालैंड में मृदा के चार क्रम निम्नलिखित हैं जो राज्य की 16.6 मिलियन हेक्टेयर भौगोलिक भूमि का निर्माण करते हैं।
- इन्सेप्टिसोल्स (Inceptisols)
- नगालैंड के लगभग 66 प्रतिशत भूमि क्षेत्र को कवर करने वाली सबसे महत्त्वपूर्ण मृदा इनसेप्टिसोल है।
- मृदा की बनावट महीन मृदा , दोमट मृदा और महीन दोमट मृदा है। ये मृदा के प्रकार नदी के किनारों के पास प्रमुख हैं।
- एंटिसोल्स (Entisols)
- एन्टिसोल्स भूमि क्षेत्र के 7.3 प्रतिशत भाग को कवर करते हैं और मुख्य रूप से नगालैंड राज्य के उत्तरी एवं पूर्वोत्तर भागों में पाए जाते हैं।
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अल्फिसोल्स (Alfisols)
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हल्के रंग की और खनिज समृद्ध अल्फीसोल्स नगालैंड राज्य के भूमि क्षेत्र के मात्र 2.9 प्रतिशत हिस्से को कवर करती है।
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असम की सीमा के निकट राज्य के पश्चिमी छोर पर महीन दोमट और महीन जल निकास वाली मृदा पाई जाती है।
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अल्टीसोल्स (Ultisols)
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नगालैंड का लगभग 23.8 प्रतिशत भूभाग अल्टीसोल से घिरा हुआ है।
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इस मृदा की विशेषता इसकी कम आधार संतृप्ति विशेषता है।
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यह मृदा का प्रकार राज्य के विभिन्न क्षेत्रों और वन क्षेत्रों में पाया जाता है जहाँ अधिक मात्रा में वर्षा होती है।
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मृदा की बनावट चिकनी रहती है।
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नदियाँ:
- हिमालय की तराई की निकटता और अत्यधिक मानसूनी वर्षा के कारण नगालैंड की विशाल नदियाँ समृद्ध हुई हैं।
- नदियाँ नगालैंड के भूगोल का एक अभिन्न अंग हैं।
- पर्वतीय क्षेत्र विभिन्न नदियों और नालों का स्रोत है।
- ब्रह्मपुत्र नदी की सहायक नदियाँ राज्य से होकर प्रवाहित होती हैं और बंगाल की खाड़ी के मुहाने पर पहुँचने से पहले मुख्य नदी में मिल जाती हैं।
- नगालैंड राज्य में चार मुख्य नदियाँ प्रवाहित होती हैं
- धनसिरी
- दिखु
- दोयांग
- झाँजी
- उपर्युक्त नदियाँ विशाल जलग्रहण क्षेत्र निर्मित करती हैं
- नदियों का समृद्ध जलोढ़ जमाव राज्य में फसल की खेती को सुविधाजनक बनाता है
- सरकार ने इन नदियों से जल विद्युत उत्पन्न करने के लिये विद्युत् स्टेशन भी स्थापित किये हैं।