चर्चा में क्यों?
9 अक्तूबर, 2024 को गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुआई में RBI की मौद्रिक नीति समिति ने रेपो दर को 6.5% पर अपरिवर्तित रखा। RBI ने भी अपने रुख को संशोधित कर समायोजन वापस लेने से तटस्थ कर दिया है, जो भविष्य की नीतिगत कार्रवाइयों में अधिक लचीलेपन का संकेत देता है।
वापसी से तटस्थता की ओर बदलाव का महत्त्व
मुद्रास्फीति नियंत्रण में: RBI ने संभवतः यह देखा है कि मुद्रास्फीति संबंधी दबाव कम हो रहे हैं, जिससे आक्रामक सख्ती की आवश्यकता कम हो गई है।
विकास को समर्थन: तटस्थ रुख RBI को सख्त रुख के बिना, आवश्यकता पड़ने पर आर्थिक विकास को समर्थन देने की अनुमति देता है।
डेटा निर्भरता: इस बात पर बल दिया जाता है कि भविष्य के नीतिगत निर्णय पूर्व निर्धारित पाठ्यक्रम के बजाय आर्थिक डेटा पर आधारित होंगे।
मौद्रिक नीति रुख
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विवरण
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हॉकिश मौद्रिक नीति रुख
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- हॉकिश रुख मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिये उच्च ब्याज दरों को बढ़ावा देता है।
- ऊँची ब्याज दरें उधार लेने को कम आकर्षक बनाती हैं, जिससे उपभोक्ता व्यय व ऋण लेने में कमी आती है।
- कीमतों को स्थिर करता है और मुद्रास्फीति को रोकने में सहायता करता है।
- उच्च ब्याज दरें राष्ट्रीय मुद्रा को मज़बूत कर सकती हैं।
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मौद्रिक नीति का डोविश रुख
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- यह दृष्टिकोण कम ब्याज दरों का पक्षधर है, जिससे उपभोक्ता ऋण लेने के लिये प्रोत्साहित होते हैं।
- अधिक मुद्रा आपूर्ति से बढ़ी हुई मांग के कारण कीमतें बढ़ सकती हैं, जिसे मुद्रास्फीति के रूप में जाना जाता है।
- जबकि मुद्रास्फीति आर्थिक विकास को समर्थन दे सकती है, ऐसा माना जाता है कि कम ब्याज दरें रोज़गार और समग्र विकास को बढ़ाती हैं।
- देश की मुद्रा कमज़ोर हो सकती है (मुद्रा का मूल्यह्रास)।
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उदार मौद्रिक नीति रुख
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- इसका उपयोग आर्थिक मंदी के दौरान किया जाता है।
- इस नीति का उद्देश्य व्यय को बढ़ावा देना है।
- यह राष्ट्रीय आय के अनुरूप मुद्रा आपूर्ति में वृद्धि की अनुमति देता है।
- केंद्रीय बैंक उधार लेना सस्ता करने के लिये ब्याज दरें कम कर सकता है, जिससे उपभोक्ता और व्यावसायिक व्यय को बढ़ावा मिलेगा।
- इसे अक्सर “आसान मौद्रिक नीति” कहा जाता है।
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तटस्थ मौद्रिक नीति रुख
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- इस स्थिति में, नीतिगत दरों को न तो आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिये और न ही उसे रोकने के लिये समायोजित किया जाता है।
- आर्थिक स्थितियाँ संतुलित हैं तथा प्रमुख नीतिगत दरें अपरिवर्तित बनी हुई हैं।
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ये रुख क्यों मायने रखते हैं
- उधारकर्त्ताओं और निवेशकों के लिये :
- ऋण दरें: ऋण पर ब्याज दरें स्थिर हो सकती हैं या अधिक पूर्वानुमानित हो सकती हैं।
- निवेश निर्णय: निवेशक प्रत्याशित मौद्रिक नीति कार्रवाइयों के आधार पर अधिक सूचित निर्णय ले सकते हैं।
- अर्थव्यवस्था के लिये :
- मुद्रास्फीति नियंत्रण: मुद्रा की क्रय शक्ति को बनाए रखते हुए मुद्रास्फीति को लक्ष्य सीमा के भीतर रखने में सहायता करता है।
- आर्थिक विकास: एक तटस्थ रुख अनावश्यक सख्ती से बचकर सतत् आर्थिक विकास का समर्थन कर सकता है।
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मुद्रा आपूर्ति उपाय
- M1 = जनता द्वारा धारित मुद्रा (नोट+सिक्के)+ वाणिज्यिक बैंकों द्वारा धारित शुद्ध मांग जमा है।
- 'नेट' शब्द का तात्पर्य है कि बैंकों द्वारा रखी गई जनता की जमा राशि को ही मुद्रा आपूर्ति में शामिल किया जाना है।
- जब एक वाणिज्यिक बैंक अन्य वाणिज्यिक बैंकों में इंटरबैंक डिपॉज़िट रखता है, तो इसे मुद्रा की आपूर्ति का हिस्सा नहीं माना जाता है।
- M2 = M1 + डाकघर बचत बैंकों में बचत जमा
- M3 = M1 + वाणिज्यिक बैंकों की शुद्ध सावधि जमा
- M4 = M3 + डाकघर बचत संगठनों के पास कुल जमा राशि (राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र को छोड़कर)
- संकीर्ण मुद्रा : M1 और M2
- ब्रॉड मनी: M3 और M4
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