07-Feb-2025
मौद्रिक नीति
भारतीय अर्थव्यवस्था
चर्चा में क्यों?
नए RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा के नेतृत्व में मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक 5 से 7 फरवरी तक आयोजित की गई, जिसमें ऋण नीति के निर्णय की घोषणा आज, 7 फरवरी को की गई।
मौद्रिक नीति
- परिभाषा: RBI अधिनियम में उल्लिखित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये मौद्रिक उपकरणों का उपयोग करने वाली केंद्रीय बैंक की नीति को संदर्भित करता है।
- उद्देश्य: प्राथमिक लक्ष्य विकास को बढ़ावा देते हुए मूल्य स्थिरता बनाए रखना है। सतत् विकास के लिये मूल्य स्थिरता आवश्यक है।
- मुद्रास्फीति लक्ष्य: 4% ± 2% निर्धारित, RBI के परामर्श से भारत सरकार द्वारा प्रति 5 वर्ष में समीक्षा की जाती है।
मौद्रिक नीति के उपकरण
- रेपो दर: वह ब्याज दर जिस पर RBI बैंकों को संपार्श्विक के बदले रात भर के लिये तरलता प्रदान करता है।
- रिवर्स रेपो दर: वह ब्याज दर जिस पर RBI रातोंरात बैंकों से तरलता अवशोषित करता है।
- तरलता समायोजन सुविधा (LAF): इसमें अंतरबैंक बाज़ार को विकसित करने और मौद्रिक नीति संचरण में सुधार करने के लिये ओवरनाइट और टर्म रेपो नीलामियां शामिल हैं।
- सीमांत स्थायी सुविधा (MSF): यह सुविधा बैंकों को दंडात्मक दर पर अपने SLR पोर्टफोलियो का उपयोग करके RBI से रातोंरात अतिरिक्त धनराशि उधार लेने की अनुमति देती है।
- कॉरिडोर: MSF और रिवर्स रेपो दरें भारित औसत कॉल मनी दर की सीमा निर्धारित करती हैं।
- बैंक दर: वह दर जिस पर RBI वाणिज्यिक पत्रों को खरीदता है या पुनर्बट्टा करता है; MSF और रेपो दर के साथ संरेखित।
- नकद आरक्षित अनुपात (CRR): बैंकों की शुद्ध मांग और सावधि देयताओं (NDTL) का वह प्रतिशत जिसे RBI के पास बनाए रखना आवश्यक है।
- सांविधिक तरलता अनुपात (SLR): NDTL बैंकों का हिस्सा सरकारी प्रतिभूतियों जैसी सुरक्षित और तरल परिसंपत्तियों में रखना चाहिये।
- खुले बाज़ार परिचालन (OMO): तरलता प्रबंधन के लिये सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद और बिक्री।
- बाज़ार स्थिरीकरण योजना (MSS): इसका उपयोग अल्पावधि सरकारी प्रतिभूतियों की बिक्री के माध्यम से पूंजी प्रवाह से अधिशेष तरलता को अवशोषित करने के लिये किया जाता है।
मौद्रिक नीति समिति (MPC)
- उत्पत्ति: संशोधित RBI अधिनियम, 1934 की धारा 45ZB के तहत गठित।
- उद्देश्य: मुद्रास्फीति लक्ष्य को पूर्ण करने के लिये नीति दर निर्धारित करना।
- संरचना- 6 सदस्य,
- RBI गवर्नर (अध्यक्ष)
- मौद्रिक नीति के प्रभारी उप गवर्नर
- बोर्ड द्वारा नामित एक RBI अधिकारी
- अर्थशास्त्र, बैंकिंग, वित्त या मौद्रिक नीति में विशेषज्ञता वाले सरकार द्वारा नियुक्त 3 सदस्य।
मौद्रिक नीति ढाँचा
- उत्पत्ति: RBI अधिनियम में संशोधन के माध्यम से मई 2016 में स्थापित।
- उद्देश्य: व्यापक आर्थिक स्थितियों के आधार पर रेपो दर निर्धारित करना और मुद्रा बाज़ार दरों को स्थिर करने के लिये तरलता को समायोजित करना।
- रेपो दर का कारण: रेपो दर में परिवर्तन मुद्रा बाज़ार और वित्तीय प्रणाली को प्रभावित करता है, जिससे मुद्रास्फीति और विकास प्रभावित होता है।