अल्पसंख्यक अधिकार दिवस

विविध


 18-Dec-2024

चर्चा में क्यों?  

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने 18 दिसंबर को विश्व अल्पसंख्यक अधिकार दिवस का आयोजन किया, जो 1992 में धार्मिक, भाषाई, राष्ट्रीय या जातीय अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र के वक्तव्य को स्वीकार करने की स्मृति को दर्शाता है।

प्रमुख बिंदु  

  • अल्पसंख्यक की परिभाषा: राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम (1992) के तहत, अल्पसंख्यक की परिभाषा केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित समुदाय के रूप में निर्धारित की गई है। भारत में अल्पसंख्यक समुदायों में मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, पारसी और जैन शामिल हैं।
  • TMA Pai केस (2002): सर्वोच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट किया है कि अल्पसंख्यक की पहचान किसी राज्य की जनसंख्या के आँकड़ों पर निर्भर करती है, न कि संपूर्ण देश की जनसंख्या पर।

संवैधानिक प्रावधान  

  • अनुच्छेद 29: नागरिकों को अपनी विशिष्ट भाषा, लिपि या संस्कृति को संरक्षित रखने का अधिकार देता है, जो अल्पसंख्यकों और बहुसंख्यकों दोनों पर लागू होता है।  
  • अनुच्छेद 30: यह सुनिश्चित करता है कि अल्पसंख्यकों को अपनी पसंद की शैक्षणिक संस्थाएँ स्थापित करने और उनका प्रशासन करने का अधिकार हो।  
  • अनुच्छेद 350-B: 7वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1956 के माध्यम से राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त भाषाई अल्पसंख्यकों के लिये एक विशेष अधिकारी का प्रावधान करता है।  

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (NCM)  

  • उत्पत्ति  
    • NCM की स्थापना 1992 में NCM अधिनियम के तहत की गई थी। पहला वैधानिक राष्ट्रीय आयोग 1993 में स्थापित किया गया था, जिसमें शुरू में मुसलमानों, ईसाइयों, सिखों, बौद्धों और पारसियों को अल्पसंख्यक समुदायों के रूप में मान्यता दी गई थी। जैनियों को वर्ष 2014 में इसमें शामिल किया गया।  
  • संघटन  
    • NCM में एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और पाँच सदस्य होते हैं, जो सभी अल्पसंख्यक समुदायों का प्रतिनिधित्व करते हैं। केंद्र सरकार द्वारा नामित कुल 7 व्यक्तियों को प्रतिष्ठित, योग्य और ईमानदार होना आवश्यक है।
  • कार्यकाल  
    • प्रत्येक सदस्य पदभार ग्रहण करने की तिथि से तीन वर्ष तक कार्य करता है।  
  • प्रकार्य  
    • संघ एवं राज्य स्तर पर अल्पसंख्यक विकास की प्रगति का मूल्यांकन करना।  
    • संविधान और कानूनों के अनुसार अल्पसंख्यकों के लिये सुरक्षा उपायों की निगरानी करना।  
    • प्रधानमंत्री के 15-सूत्री कार्यक्रम का कार्यान्वयन सुनिश्चित करना।  
    • अधिकारों के उल्लंघन से संबंधित शिकायतों का समाधान करना और उचित कार्रवाई करना।  
    • सांप्रदायिक संघर्षों और दंगों की जाँच करना।