मनरेगा
विविध
18-Dec-2024
चर्चा में क्यों?
एक संसदीय पैनल ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) के श्रमिकों की मज़दूरी बढ़ाने के पक्ष का समर्थन करते हुए कहा है कि वर्तमान भुगतान बढ़ती जीवन-यापन लागत के अनुरूप नहीं है।
मुख्य बिंदु
प्रारंभ: वर्ष 2005
योजना का प्रकार: केंद्र प्रायोजित योजना
नोडल मंत्रालय: ग्रामीण विकास मंत्रालय
उद्देश्य: अकुशल शारीरिक श्रम करने वाले ग्रामीण परिवारों को कम से कम 100 दिन की गारंटीकृत मज़दूरी रोज़गार प्रदान करना और आजीविका सुरक्षा को बढ़ाना।
लक्षित समूह: अकुशल शारीरिक श्रम करने के इच्छुक पंजीकृत ग्रामीण परिवारों के वयस्क सदस्य (18+ वर्ष)।
मनरेगा योजना अवलोकन
- काम करने का कानूनी अधिकार: मनरेगा अधिनियम (2005) ग्रामीण परिवारों को 100 दिन की मज़दूरी रोज़गार की गारंटी देता है, अकुशल श्रम को कानूनी अधिकार के रूप में प्रदान करता है और आजीविका सुरक्षा को बढ़ावा देता है। यह सूखा या आपदा प्रभावित क्षेत्रों में 50 अतिरिक्त दिन का रोज़गार भी प्रदान करता है।
- कवरेज: यह योजना 100% शहरी जनसंख्या वाले ज़िलों को छोड़कर पूरे भारत के ग्रामीण क्षेत्रों को कवर करती है।
- मांग-संचालित ढाँचा: मांग के आधार पर रोज़गार उपलब्ध कराया जाता है। यदि 15 दिनों के भीतर काम नहीं मिलता है, तो बेरोज़गारी भत्ता दिया जाता है (30 दिनों के लिये न्यूनतम मज़दूरी का एक-चौथाई और उसके बाद आधा)।
- विकेंद्रीकृत योजना: स्थानीय पंचायती राज संस्थाएँ (PRI) कार्यों की योजना बनाने और क्रियान्वयन में प्रमुख भूमिका निभाती हैं, कम से कम 50% परियोजनाओं का प्रबंधन ग्राम पंचायतों द्वारा किया जाता है।
- यह सारांश मनरेगा के प्रमुख पहलुओं पर प्रकाश डालता है, जिसमें इसकी कानूनी गारंटी, घटक तथा कार्यान्वयन और पारदर्शिता में सुधार के लिये पहल शामिल हैं।