रवांडा में मारबर्ग वायरस का प्रकोप
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
08-Oct-2024
चर्चा में क्यों?
रवांडा, 36 मामलों और 11 मौतों के साथ अपने पहले मारबर्ग वायरस प्रकोप का सामना कर रहा है, संभावित उपचारों के लिये नैदानिक परीक्षणों पर अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के साथ सहयोग कर रहा है। सबिन वैक्सीन इंस्टीट्यूट ने अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्त्ताओं को शामिल करने वाले परीक्षण के लिये 700 वैक्सीन खुराक भेजी। सितंबर के अंत में, मारबर्ग नामक घातक वायरस की खोज की गई, जिसकी मृत्यु दर 88% है।
मारबर्ग वायरस
- एक घातक रोगाणु जो मारबर्ग वायरस रोग (MVD) का कारण बनता है, जो एक प्रकार का वायरल रक्तस्रावी बुखार है।
- पहली रिपोर्ट: वर्ष 1967 में, मारबर्ग और फ्रैंकफर्ट (जर्मनी) और बेलग्रेड (सर्बिया) में प्रयोगशाला में हुए प्रकोप का पता युगांडा से आए वर्वेट बंदरों से लगाया गया।
- उल्लेखनीय प्रकोप: अंगोला (वर्ष 2005), गिनी (वर्ष 2021), घाना (वर्ष 2022), इक्वेटोरियल गिनी (वर्ष 2023), DRC (वर्ष 1998-2000), युगांडा (कई बार), तंजानिया (वर्ष 2023), केन्या (वर्ष 1980, 1987), दक्षिण अफ्रीका (वर्ष 1975) में हुआ।
- गुफाओं और खदानों में पाए जाने वाले रौसेट चमगादड़ मनुष्यों में यह वायरस फैलाते हैं।
- मानव संचरण: शारीरिक तरल पदार्थ (जैसे, रक्त, लार, मूत्र) के साथ सीधे संपर्क के माध्यम से होता है।
- यह वायरस शरीर के बाहर स्थिर नहीं रहता है, तथा वायु के माध्यम से इसका संक्रमण दुर्लभ है।
रवांडा
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