27-Feb-2025
मामलुक (गुलाम) राजवंश (1206 - 1290 ई.)
इतिहास
मामलुक राजवंश: परिचय
- दिल्ली सल्तनत का पहला राजवंश, जिसकी स्थापना कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1206 ई. में की थी।
- "मामलुक" शब्द का अर्थ है "स्वामित्व वाला" और इसका तात्पर्य सैन्य सेवा के लिये प्रशिक्षित तुर्की दासों से था।
प्रमुख शासक और योगदान
कुतुब-उद-दीन ऐबक (1206-1210 ई.)
- अपनी उदारता के लिये "लाख बख्श सुल्तान" के नाम से जाने जाते हैं।
- कुतुब मीनार का निर्माण शुरू कराया तथा कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद (दिल्ली) और अढ़ाई दिन का झोपड़ा (अजमेर) का निर्माण कराया।
- 1210 ई. में पोलो दुर्घटना में मृत्यु हो गई।
इल्तुतमिश (1211-1236 ई.)
- सबसे प्रमुख शासक, बगदाद के खलीफा द्वारा सुल्तान के रूप में मान्यता प्राप्त।
- साम्राज्य को सशक्त किया और ताज अल-दीन यिल्डिज़ और नासिर अल-दीन कबाचा जैसे प्रतिद्वंद्वियों को हराया।
- इक्ता प्रणाली (वेतन के बदले भूमि अनुदान) शुरू की गई।
- सेना को पुनर्गठित किया, तुर्कान-ए-चिहालगानी (चालीसा) बनाया - 40 वफादार तुर्की रईसों का एक समूह।
- कुतुब मीनार का निर्माण संपन्न किया, चाँदी के टकसाल और जीतल सिक्कों का प्रचलन किया।
रजिया सुल्तान (1236-1240 ई.)
- दिल्ली सल्तनत की पहली और एकमात्र महिला शासक।
- तुर्की सरदारों के विरोध का सामना करना पड़ा और विद्रोह के बाद 1240 ई. में उनकी हत्या कर दी गई।
गियासुद्दीन बलबन (1266-1287 ई.)
- रक्त और लौह की नीति के माध्यम से सुल्तान के अधिकार को सुदृढ़ किया।
- विद्रोहों को कुचला गया तथा डाकुओं का सफाया करके कानून-व्यवस्था में सुधार किया गया।
- शाही गरिमा को लागू करने के लिये सिजादा (प्रणाम) और पैबोस (पैर चूमना) की प्रथा शुरू की गई।
- मंगोल आक्रमणों से भारत की रक्षा की।
- फारसी त्योहार नवरोज़ की शुरुआत की गई तथा दिल्ली सल्तनत संस्थाओं को सुदृढ़ किया गया।
मामलुक राजवंश का अंत (1290 ई.)
- बलबन की मृत्यु के पश्चात उसके शक्तिहीन उत्तराधिकारियों ने शासन पर नियंत्रण स्थापित करने में विफलता का सामना किया।
- जलालुद्दीन खिलजी ने 1290 ईस्वी में शासन पर अधिकार कर लिया, जिसके परिणामस्वरूप मामलुक राजवंश का अंत हुआ और खिलजी राजवंश की स्थापना हुई।