लॉस एंजिल्स वनाग्नि

भूगोल


    No Tags Found!
 13-Jan-2025

चर्चा में क्यों?  

जनवरी 2025 में, लॉस एंजिल्स के हॉलीवुड हिल्स क्षेत्र में एक भयंकर वनाग्नि ने तबाही मचाई, जिसके परिणामस्वरूप 10 व्यक्तियों की मृत्यु हो गई और 130,000 निवासी विस्थापित हो गए।  

वनाग्नि क्या है?  

वनाग्नि अनियंत्रित आग होती है जो वनों, घास के मैदानों या मैदानों जैसे प्राकृतिक क्षेत्रों में जलती है। वे प्राकृतिक कारणों जैसे तड़ित (बिजली गिरने) या ज्वालामुखी विस्फोट के कारण शुरू हो सकती हैं, साथ ही मानवीय क्रियाकलापों जैसे फेंकी गई सिगरेट, बिना देख-रेख के कैम्प फायर या स्लेश-एंड-बर्न खेती के कारण भी शुरू हो सकती हैं।  

वनाग्नि के कारण  

  • मानवीय गतिविधियाँ: अवैध कैम्प फायर, आतिशबाज़ी तथा वनों के निकट शहरी विस्तार (वन्यभूमि-शहरी इंटरफेस) जैसी गतिविधियाँ आग के खतरे को बढ़ाती हैं।  
  • शुष्क शीतकाल: दक्षिणी कैलिफोर्निया जैसे क्षेत्रों में न्यूनतम वर्षा के कारण सूखी वनस्पति पैदा होती है, जिससे आग लगने का खतरा रहता है।  
  • सांता एना पवनें: कैलिफोर्निया में तेज़ मौसमी पवनें आग को और तीव्र कर देती हैं।  
  • जलवायु परिवर्तन: लंबे समय तक शुष्क मौसम और वनस्पति तनाव से आग का खतरा बढ़ जाता है।  

वनाग्नि का प्रभाव  

  • वनाग्नि से होने वाला उत्सर्जन: वनाग्नि से PM2.5, NO2 और ब्लैक कार्बन जैसे हानिकारक प्रदूषक निकलते हैं, साथ ही ग्रीनहाउस गैसें जैसे CO2, CH2 और N2O भी निकलती हैं, जिससे वायु प्रदूषण बढ़ता है, जिससे स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ता है और जलवायु परिवर्तन की स्थिति बिगड़ती है।  
  • जलवायु प्रभाव: वनाग्नि से CO उत्सर्जित होता है, जिससे वैश्विक तापमान में वृद्धि होती है।  
  • सामाजिक एवं आर्थिक क्षति: घरों, बुनियादी ढाँचे और आजीविका का विनाश; ज़बरन निष्कासन।  
  • मृदा क्षति: कार्बनिक पदार्थ, मृदा जीवों की हानि तथा बढ़ता कटाव भूमि की उर्वरता को कम करता है  

वनाग्नि और जलवायु परिवर्तन: एक संबंध  

जलवायु परिवर्तन वनाग्नि की बढ़ती आवृत्ति और तीव्रता में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वैश्विक तापमान में वृद्धि के कारण कई क्षेत्रों में लंबे समय तक शुष्क मौसम और कम वर्षा होती है, जिससे ऐसी परिस्थितियाँ बनती हैं जो वनस्पति को शुष्क और अत्यधिक ज्वलनशील बनाती हैं। नमी की यह कमी पौधों और वनों पर दबाव डालती है, जिससे वे आग लगने के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं।  

इसके अतिरिक्त, जलवायु परिवर्तन मौसम के पैटर्न को तीव्र करने में योगदान देता है, जैसे तीव्र पवनें और उच्च तापमान, जिससे आग अधिक तेज़ी से फैल सकती है। बदले में, वनाग्नि से वातावरण में बड़ी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड (CO) और अन्य ग्रीनहाउस गैसें निकलती हैं, जिससे ग्लोबल वार्मिंग और भी बढ़ जाती है। इससे एक दुष्चक्र बनता है जहाँ जलवायु परिवर्तन से वनाग्नि बढ़ती है और वनाग्नि से जलवायु परिवर्तन में तेज़ी आती है।  

भारत में वनाग्नि  

  1. वार्षिक घटनाएँ: भारत में प्रतिवर्ष 50,000-60,000 वनाग्नि की घटनाएँ होती हैं, मुख्यतः शुष्क मौसम (मार्च-जून) के दौरान।  
  2. उच्च जोखिम वाले राज्य: ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश सबसे अधिक प्रभावित हैं।  
  3. असुरक्षित वन  
    • शुष्क पर्णपाती वनों में आग लगने की संभावना बहुत अधिक होती है।  
    • सदाबहार, अर्द्ध-सदाबहार और पर्वतीय शीतोष्ण वनों में आग लगने का खतरा कम होता है।  
  4. अग्नि-प्रवण क्षेत्र  
    • भारत का 36% से अधिक वन क्षेत्र आग लगने की आशंका वाला है।  
    • वन क्षेत्र का 4% भाग अत्यधिक आग प्रवण है, 6% भाग अत्यधिक आग प्रवण है तथा 54.4% भाग कभी-कभी आग से प्रभावित होता है।