12-Mar-2025
लोकपाल और लोकायुक्त
भारतीय राजनीति
लोकपाल: परिचय
संगठन
- लोकपाल में एक अध्यक्ष और अधिकतम 8 सदस्य होते हैं।
- 50% सदस्य न्यायिक सदस्य होने चाहिये।
- कुल सदस्यों में से कम से कम 50% अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC), अल्पसंख्यक और महिलाओं से होने चाहिये।
कार्यकाल और नियुक्ति
- सदस्य 5 वर्ष तक या 70 वर्ष की आयु तक सेवा करते हैं।
- चयन समिति की अनुशंसा के आधार पर राष्ट्रपति द्वारा नियुक्ति, जिसमें शामिल हैं:
- प्रधानमंत्री (अध्यक्ष)
- लोकसभा अध्यक्ष
- विपक्ष का नेता या लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल का नेता
- भारत के मुख्य न्यायाधीश या CJI द्वारा नामित सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश
- राष्ट्रपति द्वारा नामित एक प्रख्यात विधिवेत्ता
लोकपाल का क्षेत्राधिकार
- प्रधानमंत्री (PM) (अंतर्राष्ट्रीय संबंध, सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष से संबंधित मामलों को छोड़कर)।
- केंद्रीय सरकार के मंत्री, संसद सदस्य तथा समूह A, B, C और D के अधिकारी।
लोकपाल की शक्तियाँ और कार्य
- दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान (DSPE) द्वारा जाँच का पर्यवेक्षण।
- जांच से संबंधित दस्तावेज़ों की तलाशी लेने और ज़ब्त करने का प्राधिकरण।
- केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) को उनके पास भेजी गई शिकायतों पर की गई कार्रवाई के बारे में लोकपाल को रिपोर्ट देनी होगी।
- सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के अंतर्गत जाँच विंग, सिविल न्यायालय की शक्तियों के साथ कार्य करता है।
लोकायुक्त: परिचय
- लोकायुक्त की स्थापना प्रत्येक राज्य द्वारा अलग कानून के माध्यम से की जाती है।
- नियुक्ति की संरचना, पात्रता, अवधि और पद्धति राज्य दर राज्य अलग-अलग होती है।