ला नीना
भूगोल
17-Dec-2024
चर्चा में क्यों?
भारतीय मौसम विभाग को आशा है कि ला नीना 2024 के अंत या वर्ष 2025 की शुरुआत तक विकसित हो जाएगा, क्योंकि जुलाई के लिये प्रारंभिक पूर्वानुमान साकार नहीं हुए।
- ला नीना क्या है?
- ला नीना, जिसका अर्थ है "छोटी लड़की (The Little Gir)", एल नीनो दक्षिणी दोलन (El Niño Southern Oscillation- ENSO) चक्र का हिस्सा है, जो वैश्विक जलवायु को प्रभावित करता है। ENSO के तीन चरण हैं:
- अल नीनो (उष्ण चरण): कमज़ोर व्यापारिक हवाएँ (Weak Trade Winds) पूर्वी प्रशांत महासागर में उष्ण जल का कारण बनती हैं।
- ला नीना (शीत चरण): प्रबल वाणिज्यिक धाराएँ शीत जल को पूर्वी प्रशांत क्षेत्र की दिशा में अग्रसर करती हैं।
- तटस्थ चरण : पूर्वी और पश्चिमी प्रशांत के बीच कोई महत्त्वपूर्ण तापमान अंतर नहीं।
मौसम पर प्रभाव
- ला नीना आमतौर पर भारत में मानसून की वर्षा को बढ़ाता है, हालाँकि वर्ष 2024 के मानसून मौसम पर इसका प्रभाव सीमित है।
- यदि ला नीना सितंबर या अक्तूबर तक शुरू होता है, तो यह पूर्वोत्तर मानसून (अक्तूबर-दिसंबर) को प्रभावित कर सकता है, जिससे तमिलनाडु, केरल और तटीय क्षेत्र प्रभावित हो सकते हैं।
- ला नीना के वर्षों में अधिक शक्तिशाली चक्रवात और कड़ी सर्दियों का अनुभव किया जा सकता है।
निष्कर्ष
- ला नीना के प्रभाव के तहत वर्षा के प्रारूप में बदलाव, चक्रवातों की संख्या में वृद्धि और सर्दियों की अवधि में कमी देखी जा रही है। इन परिवर्तनों को समझने से वैश्विक जलवायु परिवर्तनों की पूर्वानुमान करने में सहायता मिलती है।