31-Jan-2025
कोणार्क सूर्य मंदिर
इतिहास
कोणार्क सूर्य मंदिर: परिचय
- स्थान: पुरी, ओडिशा के पास।
- निर्माण: राजा नरसिंहदेव प्रथम ने 13वीं शताब्दी में (1238-1264 ई.) करवाया था, जो पूर्वी गंगा साम्राज्य के गौरव का प्रतिनिधित्व करता है।
- पूर्वी गंगा राजवंश: इन्हें रुधि गंग वंश के नाम से भी जाना जाता है, इन्होंने 5वीं से 15वीं शताब्दी तक कलिंग पर शासन किया।
- डिज़ाइन: यह एक विशाल रथ के आकार का है, जो सूर्य देवता को समर्पित है तथा इसमें कलिंग वास्तुकला को दर्शाती जटिल मूर्तिकला का काम किया गया है।
- वास्तुकला: कोणार्क सूर्य मंदिर विशिष्ट कलिंग प्रभाव के साथ नागर शैली की वास्तुकला का उदाहरण है।
- प्रतीकात्मकता: 24 पहिये दिन के घंटों या वर्ष के महीनों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जबकि 7 घोड़े सप्ताह के दिनों का प्रतीक हैं।
- विरासत का दर्जा: वर्ष 1984 में UNESCO द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया।
- ऐतिहासिक महत्त्व: नाविकों द्वारा कथित तौर पर जहाज़ों के डूबने का कारण बनने के कारण इसे "ब्लैक पैगोडा (Black Pagoda)" के नाम से जाना जाता है, यह कश्मीर से पूर्वी भारत तक सूर्य पंथ के प्रसार को दर्शाता है