ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती
इतिहास
03-Jan-2025
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री की ओर से सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की अजमेर शरीफ दरगाह पर 813वें उर्स के अवसर पर चादर पेश की गई।
सूफीवाद के संबंध में मुख्य बातें
- परिभाषा: सूफीवाद इस्लाम का एक रहस्यवादी रूप है जो भौतिकवाद को अस्वीकार करते हुए भक्ति, आंतरिक शुद्धता, तप और ईश्वर की आध्यात्मिक खोज पर ज़ोर देता है।
- मान्यताएँ
- ईश्वर को जानने के लिये आत्म-अनुशासन आवश्यक है।
- सूफी लोग बाह्य आचरण की अपेक्षा आंतरिक पवित्रता पर ध्यान देते हैं।
- मानवता की सेवा करना ईश्वर की सेवा के बराबर माना जाता है।
- शब्द "सूफी" संभवतः 'सूफ' (अरबी में ऊन, क्योंकि तपस्वी ऊनी कपड़े पहनते थे) या 'सफा' (अरबी में पवित्रता) से आया है ।
ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती
- 1141-42 ई. में सिस्तान (ईरान) में जन्म हुआ।
- तराइन के द्वितीय युद्ध (1192) के बाद मुइज़ुद्दीन मुहम्मद बिन साम के शासनकाल के दौरान अजमेर में निवास करने लगे।
- उन्होंने आध्यात्मिकता का प्रचार किया और अकबर और जहाँगीर जैसे शासकों को अपने अनुयायी बनाया।
- अजमेर स्थित उनकी दरगाह एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है।
चिश्तिया संप्रदाय
- स्थापना
- भारत में ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती द्वारा प्रस्तुत किया गया।
- ईश्वर के साथ एकता (वहदत अल-वुजूद) और शांतिवाद पर ज़ोर दिया गया।
- मान्यताएँ
- भौतिक वस्तुओं को अस्वीकार कर दिया और राजनीतिक संबंधों से दूर रहे।
- भगवान के नाम (धिक्र) का उच्चारण, ज़ोर से और मन ही मन, दोनों तरह से किया।
- प्रमुख शिष्य
- ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी, फरीदुद्दीन गंज-ए-शकर, निज़ामुद्दीन औलिया और नसीरुद्दीन चराग ने शिक्षाओं को आगे बढ़ाया।
अन्य प्रमुख सूफी संप्रदाय
|