निजता के अधिकार मामले में मुख्य याचिकाकर्त्ता न्यायमूर्ति के.एस. पुट्टस्वामी का निधन
भारतीय राजनीति
29-Oct-2024
चर्चा में क्यों?
कर्नाटक उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश और भारत के ऐतिहासिक 'निजता के अधिकार मामले' में याचिकाकर्त्ता न्यायमूर्ति के.एस. पुट्टस्वामी का 98 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वर्ष 1926 में बंगलूरू के पास जन्मे, उन्होंने एक न्यायाधीश के रूप में कार्य किया, बाद में वर्ष 2012 में आधार योजना को चुनौती दी। इसके परिणामस्वरूप 24 अगस्त 2017 को एक ऐतिहासिक फैसला आया जहाँ नौ न्यायाधीशों की पीठ ने न्यायमूर्ति के.एस. पुट्टस्वामी (सेवानिवृत्त) बनाम भारत संघ के मामले में सर्वसम्मति से निजता के मौलिक अधिकार को मान्यता दी ।
निजता का अधिकार
- यह मौलिक अधिकारों का एक हिस्सा है, जिसका उल्लेख भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 में मिलता है।
- इसे अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के आंतरिक भाग के रूप में तथा संविधान के भाग III द्वारा गारंटीकृत स्वतंत्रता के एक भाग के रूप में संरक्षित किया गया है।
- इसमें कम से कम तीन पहलुओं को शामिल किया गया है -
- किसी व्यक्ति के भौतिक जीवन में हस्तक्षेप,
- सूचनात्मक गोपनीयता
- पसंद की निजता
- न्यायमूर्ति के.एस. पुट्टस्वामी द्वारा शुरू किये गए इस मामले में आधार योजना द्वारा व्यक्तिगत निजता के संभावित उल्लंघन को चुनौती दी गई, जिससे व्यक्तिगत डेटा अधिकार और राज्य निगरानी पर देशव्यापी बहस छिड़ गई।
- निजता के महत्त्व को स्वीकार करते हुए सरकार ने संसद में व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक 2019 प्रस्तुत किया है।