जनजातीय गौरव दिवस 2024
विविध
14-Nov-2024
- वर्ष 2021 में, केंद्र सरकार ने 15 नवंबर, भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को राष्ट्रीय जनजातीय गौरव दिवस के रूप में घोषित किया।
- इसका उद्देश्य भगवान बिरसा मुंडा और अन्य जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को सम्मान देना है।
- अपनी परंपराओं और गौरवपूर्ण इतिहास को स्वीकार करें।
- यह दिन एक महत्त्वपूर्ण अवसर है:
- जनजातीय समाज के संघर्षों को याद करें।
- उनके महत्त्वपूर्ण योगदान को पहचानें।
- अनुसूचित जनजातियों के संरक्षण के संबंध में भारतीय संविधान:
- अनुच्छेद 46 : अनुसूचित जनजातियों के शैक्षिक और आर्थिक हितों को बढ़ावा देता है तथा सामाजिक अन्याय और शोषण के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करता है।
- अनुच्छेद 243टी: पंचायतों में अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों का आरक्षण सुनिश्चित करता है।
- अनुच्छेद 330: लोकसभा में अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों का आरक्षण प्रदान करता है।.
- अनुच्छेद 342: राष्ट्रपति को समुदायों को अनुसूचित जनजाति के रूप में अधिसूचित करने का अधिकार देता है।
भगवान बिरसा मुंडा के बारे में
- जन्म : 15 नवंबर 1875, उलिहातु गाँव, झारखंड में एक साधारण मुंडा परिवार में।
- प्रारंभिक संघर्ष : छोटी उम्र से ही आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा; सामाजिक असमानता और उत्पीड़न का अनुभव किया।
- स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका :
- ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध उलगुलान (जनजातीय विद्रोह) का नेतृत्व किया।
- ब्रिटिश-लागू भूमि नीतियों, जबरन धर्मांतरण और जनजातीय परंपराओं में हस्तक्षेप करने वाले कानूनों के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
- समाज सुधारक :
- जनजातीय समाज में अंधविश्वास, जातिगत भेदभाव, शराबखोरी और अन्य सामाजिक बुराइयों के खिलाफ जागरूकता फैलाना।
- उन्होंने अपने अनुयायियों के बीच शिक्षा और एकता के महत्त्व पर ज़ोर दिया।
- धार्मिक आंदोलन : शुद्धता, सादगी और सत्य के पालन को बढ़ावा देने के लिये बिरसाइत आंदोलन की शुरुआत की।
- भारतीय स्वतंत्रता में योगदान :
- उनके नेतृत्व और बलिदान ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी।
- अन्य जनजातीय समुदायों को स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिये प्रेरित किया।
' जनजातीय गौरव दिवस 2023' पर पहल शुरू की गई
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