ISRO ने 100वाँ प्रक्षेपण पूरा किया

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी


 30-Jan-2025

चर्चा में क्यों?  

GSLV-F15 रॉकेट के सफल प्रक्षेपण के साथ, ISRO ने NVS-02 उपग्रह को भूस्थिर स्थानांतरण कक्षा (GTO) में स्थापित कर दिया, जिससे उसका 100वाँ मिशन पूरा हुआ और भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं को मजबूती मिली।  

ISRO के प्रक्षेपण यान  

प्रक्षेपण यान क्या हैं?  

  • रॉकेट-संचालित प्रणालियाँ जो उपग्रहों या पेलोड को अंतरिक्ष या उससे परे ले जाती हैं।  
  • गुरुत्वाकर्षण पर नियंत्रण प्राप्त करने और LEO, GEO, या अंतरग्रहीय पथ जैसी कक्षाओं तक पहुँचने के लिये बल प्रदान करना।  

प्रक्षेपण वाहन कैसे काम करते हैं?  

  • रॉकेट प्रणोदन: न्यूटन के तीसरे नियम का पालन करते हुए ठोस या तरल ईंधन का उपयोग किया जाता है।
  • अनेक चरण: प्रत्येक चरण अपना ईंधन जलाने के बाद अलग हो जाता है।  
  • मार्गदर्शन एवं नेविगेशन: कंप्यूटर वांछित उड़ान पथ को बनाए रखते हैं।  
  • पेलोड फेयरिंग: उपग्रह की सुरक्षा करता है और अंतरिक्ष में अलग कर देता है।  
  • कक्षा सम्मिलन: अंतिम चरण उपग्रह को कक्षा में स्थापित करता है।  

ISRO के परिचालन प्रक्षेपण यान  

NVS-02 उपग्रह  

NVS-02 क्या है?

  • NavIC (नेविगेशन विद इंडियन कॉन्स्टेलेशन) के अंतर्गत सैटेलाइट नेविगेशन।  
  • NVS सीरीज़ में दूसरा, पुराने IRNSS उपग्रहों का स्थान लेगा।  

कक्षीय प्लेसमेंट  

  • GSLV-F15 द्वारा भूसमकालिक स्थानांतरण कक्षा (Geosynchronous Transfer Orbit- GTO) में प्रक्षेपित किया गया।  
  • अंतिम कक्षा: 36,000 किमी. ऊँचाई।  

उद्देश्य  

  • भारत और आस-पास के क्षेत्रों (1,500 किमी. से आगे) में नेविगेशन सटीकता में सुधार करना।  
  • निम्नलिखित जैसे अनुप्रयोगों का समर्थन करता है:  
  • सैन्य और नागरिक नेविगेशन  
  • आपदा प्रबंधन  
  • फ्लीट ट्रैकिंग और प्रेसिजन एग्रीकल्चर।