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पर्यावरण और पारिस्थितिकी
अंतरराज्यीय चीता संरक्षण परिसर
« »20-Sep-2024
चर्चा में क्यों?
भारत द्वारा 25 वर्षों के भीतर मध्य प्रदेश और राजस्थान में कुनो-गांधी सागर परिदृश्य में एक अंतर-राज्यीय चीता संरक्षण परिसर स्थापित करने की योजना बनाई जा रही है। इस परियोजना का उद्देश्य 60-70 चीतों की मेटापॉपुलेशन का समर्थन करते हुए, समीपवर्ती वन आवासों में पुनर्वास कराना है। पहले चरण में, पाँच से आठ चीतों को शिकार-रोधी क्षेत्र में लाया जाएगा, जिसमें प्रोजेक्ट चीता के तहत प्रजनन और दीर्घकालिक आवास प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
प्रोजेक्ट चीता
- उद्देश्य: प्रोजेक्ट चीता का प्राथमिक लक्ष्य भारत में चीतों का पुनर्वास कराना है, जो लगभग 70 वर्ष पूर्व देश से विलुप्त हो गए थे।
- यह भारत के घास के मैदानों और सवाना पारिस्थितिकी तंत्र में चीतों की पारिस्थितिक भूमिका को पुनर्स्थापित करने के एक बड़े प्रयास का हिस्सा है।
- चरण-1 (वर्ष 2022): देश में वर्ष 1952 में विलुप्त घोषित किये गए चीतों की आबादी का पुनर्वास कराना।
- इसमें दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से चीतों को कुनो राष्ट्रीय उद्यान में स्थानांतरित करना शामिल है।
- यह परियोजना राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) द्वारा मध्य प्रदेश वन विभाग और भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) के सहयोग से कार्यान्वित की जा रही है।
- चरण-2: इस परियोजना के तहत, भारत समान आवासों के कारण केन्या से चीते मंगाने पर विचार कर रहा है।
- चीतों को कुनो राष्ट्रीय उद्यान और गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य (मध्य प्रदेश) में स्थानांतरित किया जाएगा।
चीता के संदर्भ में
- वैज्ञानिक नाम: एसिनोनिक्स जुबेटस
- परिवार: फेलिडे
- यह सबसे तीव्र स्थलीय जानवर है जिसे क्रेपसकुलर शिकारी माना जाता है, जिसका अर्थ है कि वे सूर्योदय और सूर्यास्त के समय शिकार करते हैं।
- चीता मादा की सगर्भता अवधि 92-95 दिनों की होती है; और वह लगभग तीन या पाँच शावकों को जन्म देती है।
संरक्षण स्थिति
- अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की रेड लिस्ट में सुभेद्य
- वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के परिशिष्ट II
- (वन्य जीव और वनस्पति की संकटग्रस्त प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर अभिसमय) CITES का परिशिष्ट I
कुनो राष्ट्रीय उद्यान
गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य
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