भारत का केंद्रीय बैंक चीनी युआन के कमज़ोर होने के जवाब में रुपए के अवमूल्यन की अनुमति देने के लिये तैयार

भारतीय अर्थव्यवस्था


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 13-Nov-2024

चर्चा में क्यों? 

भारत का केंद्रीय बैंक, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI), चीनी युआन के अवमूल्यन के जवाब में रुपए को धीरे-धीरे कमज़ोर की अनुमति देने के लिये तैयार है। डोनाल्ड ट्रंप की हाल ही में अमेरिकी चुनाव में जीत के बाद चीनी वस्तुओं पर संभावित नए टैरिफ को लेकर चिंताएँ उत्पन्न हुई हैं, जिससे भारत के लिये सॉफ्ट युआन और बढ़े हुए व्यापार असंतुलन की उम्मीदें बढ़ गई हैं। इस प्रकार नीति निर्माता चीनी वस्तुओं के मुकाबले भारतीय निर्यात को प्रतिस्पर्द्धी बनाए रखने के लिये रुपए के मूल्य को कम करने के लिये तैयार हैं। 

खबरों में अधिक जानकारी 

  • ट्रंप के सत्ता में वापस आने से चीनी वस्तुओं पर अमेरिका द्वारा टैरिफ लगाए जाने की आशंकाएँ बढ़ गई हैं। 
    • इससे युआन कमज़ोर होगा और भारत में सस्ते चीनी आयात में संभावित रूप से वृद्धि होगी। 
    • इससे चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा और बढ़ सकता है (2023 में 83 बिलियन डॉलर)। 
  • ऐतिहासिक संदर्भ : ट्रंप के पिछले कार्यकाल के दौरान, टैरिफ बढ़ोतरी के कारण 2018-19 में युआन में 11.5% की गिरावट आई, जबकि इसी अवधि में रुपए में 11.2% की गिरावट आई, जिससे टैरिफ का प्रभाव आंशिक रूप से कम हो गया। 
  • RBI की रणनीति 
    • भारतीय रिज़र्व बैंक रुपए में नियंत्रित अवमूल्यन की अनुमति देगा, तथा तीव्र गिरावट को रोकने के लिये अपने पर्याप्त विदेशी भंडार (680 बिलियन डॉलर से अधिक) का उपयोग करेगा, जिसका उद्देश्य संतुलित तथा प्रतिस्पर्द्धी मुद्रा बनाना है। 
  • M.K. ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज के अनुसार, RBI ने युआन के मुकाबले रुपए को सूक्ष्मता से स्थिर रखा है। 
    • चीन के साथ व्यापार घाटे के बीच विनिमय दर को प्रबंधित करने का लक्ष्य है तथा ऐसी अस्थिर स्थिति में रुपए को स्वतंत्र रूप से अस्थिर होने नहीं दिया जाएगा। 
    • भारत का लक्ष्य वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं में चीन का विकल्प तलाशने वाली कंपनियों को आकर्षित करके अपने विनिर्माण क्षेत्र को मज़बूत करना है 
    • इस रणनीति के लिये प्रतिस्पर्द्धी रुपया अत्यंत महत्त्वपूर्ण है, विशेषकर इसलिये क्योंकि भारत इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य क्षेत्रों में निर्यात बाज़ार में हिस्सेदारी हासिल करना शुरू कर रहा है। 

अवमूल्यन और मूल्यह्रास के बीच अंतर 

  • अवमूल्यन : 
    • यह किसी देश की सरकार या केंद्रीय बैंक द्वारा अन्य मुद्राओं की तुलना में अपनी मुद्रा के मूल्य को कम करने की जानबूझकर की गई कार्यवाही है। 
    • मुख्यतः यह स्थिर या निर्धारित विनिमय दर प्रणालियों में होता है, जहाँ मुद्रा का मूल्य सरकार द्वारा निर्धारित किया जाता है। 
    • इसका उपयोग निर्यात को सस्ता और आयात को महंगा बनाने के लिये किया जाता है, जिससे व्यापार संतुलन में सुधार होता है और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है। 
    • उदाहरण: कोई देश अपने माल को अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में अधिक प्रतिस्पर्द्धी बनाने के लिये अपनी मुद्रा का अवमूल्यन कर सकता है। 
  • मूल्यह्रास : 
    • यह आपूर्ति और मांग, ब्याज दर के अंतर या आर्थिक संकेतकों जैसी बाज़ार शक्तियों के कारण मुद्रा के मूल्य में होने वाली स्वाभाविक गिरावट है। 
    • यह अस्थिर या लचीली विनिमय दर प्रणालियों में होता है जहाँ मुद्रा का मूल्य बाज़ार द्वारा निर्धारित होता है। 
    • यह भू-राजनीतिक घटनाओं, व्यापार असंतुलन या मौद्रिक नीति जैसे बाह्य कारकों से प्रभावित हो सकता है, लेकिन यह प्रत्यक्ष सरकारी हस्तक्षेप का परिणाम नहीं है। 
    • उदाहरण: यदि आर्थिक परिस्थितियों के कारण किसी मुद्रा की मांग कम हो जाती है, तो अन्य मुद्राओं की तुलना में उसका मूल्य कम हो जाता है।