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भारतीय अर्थव्यवस्था
अगस्त में भारत की खुदरा मुद्रास्फीति 3.65 प्रतिशत रही; RBI के 4 प्रतिशत लक्ष्य से नीचे
« »13-Sep-2024
चर्चा में क्यों?
भारत की खुदरा मुद्रास्फीति अगस्त में लगातार दूसरे महीने भारतीय रिज़र्व बैंक के 4% के औसत लक्ष्य से नीचे रही, जबकि जुलाई में संशोधित 3.6% से यह मामूली बढ़कर 3.65% हो गई। अगस्त में मुद्रास्फीति दर पाँच वर्ष में दूसरी बार सबसे कम है।
मुद्रास्फीति के बारे में
- मुद्रास्फीति किसी निश्चित अवधि में वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में वृद्धि की दर है।
- मुद्रास्फीति में अर्थव्यवस्था में मुद्रा की आपूर्ति बढ़ जाती है और मुद्रा की क्रय शक्ति कम हो जाती है।
मुद्रास्फीति के कारण
- मांग-प्रेरित मुद्रास्फीति: मांग-प्रेरित मुद्रास्फीति तब होती है जब वस्तुओं और सेवाओं की मांग उनकी आपूर्ति से अधिक हो जाती है।
- लागत-प्रेरित मुद्रास्फीति: लागत-प्रेरित मुद्रास्फीति वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन लागत में वृद्धि से प्रेरित होती है।
- मूल्य शक्ति मुद्रास्फीति : जब वस्तुओं और सेवाओं की कीमत में लंबे समय तक वृद्धि नहीं की गई हो।
भारत में मुद्रास्फीति मापने के सूचकांक
- थोक मूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index- WPI)
- यह थोक स्तर पर वस्तुओं की कीमतों में औसत परिवर्तन को मापता है (उत्पादकों और व्यवसायों के दृष्टिकोण से)।
- इसमें CPI की तुलना में वस्तुओं की एक व्यापक शृंखला शामिल है।
- इसमें सेवाएँ शामिल नहीं हैं।
- भारत में WPI में प्राथमिक वस्तुएँ (117), ईंधन और विद्युत् (16 वस्तुएँ) तथा विनिर्मित उत्पाद (564) शामिल हैं। कुल 697 वस्तुएँ शामिल हैं
- अखिल भारतीय थोक मूल्य सूचकांक का आधार वर्ष 2004-05 से संशोधित कर 2017 में 2011-12 कर दिया गया है।
- वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT) के आर्थिक सलाहकार कार्यालय द्वारा इसे प्रकाशित किया जाता है।
- उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index- CPI)
- यह मुद्रास्फीति का एक प्रमुख संकेतक है जो समय के साथ वस्तुओं और सेवाओं की एक टोकरी के लिये उपभोक्ताओं द्वारा भुगतान की गई औसत खुदरा कीमतों में परिवर्तन को मापता है।
- आधार वर्ष: 2012
- RBI की मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee- MPC) मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिये CPI डेटा का उपयोग करती है।
- राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (National Statistical Office- NSO), सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) आधार वर्ष 2012 पर अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) जारी करता है।
- भारत में अलग-अलग CPI हैं जो विशिष्ट जनसंख्या समूहों की ज़रूरतों को पूरा करते हैं:
- औद्योगिक श्रमिकों के लिये CPI (CPI-IW)
- कृषि श्रमिकों के लिये CPI (CPI-AL)
- ग्रामीण श्रमिकों के लिये CPI (CPI-RL)
- संयुक्त CPI (CPI-C)